What is landing craft assault: भारतीय सेना पैंगोंग झील में चीन की मोर्चेबंदी को तोड़ने के लिए खास तरह की नावें खरीदने की तैयारी में है. इस तरह की नावें Landing Craft Assault यानि LCA एक बार में 35 तक सैनिकों को ले जा सकेंगी, बुलेटप्रूफ होंगी और शून्य से 15 डिग्री कम तापमान में भी काम कर सकेंगी. इस तरह की नावों का इस्तेमाल अक्सर दुश्मन के इलाके में बिना किसी किनारे या जेटी के सैनिकों को उतारने के लिए किया जाता है. ऐसे ऑपरेशन करने के लिए खास प्रशिक्षण के साथ-साथ अच्छी नावों की जरूरत होती है. भारतीय सेना ऐसी 8 नावें खरीदना चाहती है. 


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एलसीए के लिए टेंडर जारी

भारतीय सेना ने हाल ही में इन खास Landing Craft Assault  के लिए टेंडर जारी किया है.  इन नावों की लंबाई 13-14 मीटर हो  जिसमें 35 सैनिक अपने हथियारों के साथ सवार हो सकें. हल्की गाड़ियों भी ले जाने की व्यवस्था हो और 5 टन तक वजन ले जा सकें. रैंप हो जिससे बिना जेटी के भी सैनिकों और गाड़ियों को उतारा जा सके. इसमें 2 मशीनगन लगाने की व्यवस्था के साथ ही ये बुलेटप्रूफ भी हो. 15000 फीट की ऊंचाई तक काम कर सके और 20 नॉट की रफ्तार से चल सके. इसमें प्राथमिक चिकित्सा के साथ ईसीजी, ब्लडप्रेशर नापने की व्यवस्था हो और एक स्ट्रेचर रखने की जगह बनाई जाए. शून्य से 15 डिग्री कम तापमान में काम कर सके और तेज़ हवाओं को झेल सके. सेना के टेंडर के मुताबिक इन नावों को ब्रह्मपुत्र, सुंदरबन डेल्टा, सर क्रीक इलाके के अलावा ऊंचाई वाले इलाके में भी इस्तेमाल किया जा सके. 


पैंगोंग पर भी विवाद

भारत और चीन की सेनाएं पिछले तीन साल से लद्दाख में आमने-सामने हैं. कोर कमांडर स्तर की 20 दौर की चर्चाओं के बाद यहां कई मोर्चों पर सेनाएं पीछे हटी हैं लेकिन कई जगह तनाव बना हुआ है.पैंगोंग झील  भारत और चीन के बीच विवाद की पुरानी वजह है. 5 मई 2020 को भी जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैनिक टकराव की स्थिति आई थी तो इसकी शुरुआत पैंगोंग झील के किनारे दोनों देशों के सैनिकों के बीच भिड़ंत से ही हुई थी.


14 हजार फीट ऊंचाई पर पैंगोंग लेक

लगभग 14000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद ये झील 135 किमी लंबी है जिसके 90 किमी के क्षेत्र पर चीन की अवैध कब्जा है. दोनों देशों के बीच की नियंत्रण रेखा इस झील के बीच से गुजरती है. चीन अपने कब्जे को और ज्यादा बढ़ाना चाहता है इसलिए अक्सर नावों पर सवार सैनिक भारतीय इलाक़े में घुसपैठ की कोशिश करते हैं. इसलिए अक्सर यहां नावों पर सवार भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़पें होती है. चीनी सैनिकों की घुसपैठ और नावों को टक्कर मारने की हरकतों को रोकने के लिए भारतीय सेना ने कुछ समय पहले ही झील में गश्त लगाने के लिए खास बख्तरबंद नावें खरीदी हैं.