ब्रिटिश संसद में Farmers Protest पर बहस, भारतीय उच्चायोग ने दिया ये जवाब
भारतीय हाईकमीशन (High Commission of India) के बयान में कहा गया है, यह चिंता का विषय है कि एक बार फिर ब्रिटिश भारतीय समुदाय को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है.
नई दिल्ली: ब्रिटेन की संसद (UK Parliament) में गलत तथ्यों पर आधारित एकतरफा बहस के विरोध में भारतीय उच्चायोग की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया दी गई है. लंदन में मौजूद भारतीय उच्चायोग (High Commission of India) ने कहा है, भारत से संबंधित मुद्दे पर एक ई-याचिका अभियान को आधार बनाते हुए ब्रिटेन की संसद में एकतरफा चर्चा की गई. हमें इस बात का गहरा अफसोस है कि एक संतुलित बहस के बजाय, झूठे दावे - बिना पुष्टि या तथ्यों के दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर चर्चा की गई.
'भ्रम फैलाया जा रहा'
भारतीय हाईकमीशन (High Commission of India) द्वारा बयान में कहा गया है, यह चिंता का विषय है कि एक बार फिर ब्रिटिश भारतीय समुदाय को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है. भारत में अल्पसंख्यकों के इलाज के बारे में संदेह जताया जा रहा है, कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का झूठा भ्रम फैलाया जा रहा है.
'मीडिया को स्वतंत्रता है'
किसान आंदोलन (Farmers Protest) और मीडिया की स्वतंत्रता (Free Press) पर उठाए गए सवालों के जवाब में कहा, ब्रिटिश मीडिया सहित तमाम विदेशी मीडिया भारत में मौजूद है. मीडिया किसान आंदोलन के हर पहलू को कवर कर रही है, ऐसे में भारत में मीडिया की स्वतंत्रता की कमी का सवाल ही नहीं उठता.
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भारत-ब्रिटेन की दोस्ती पुरानी
गौरतलब है, भारतीय उच्चायोग (High Commission of India) आमतौर पर ऐसी आंतरिक चर्चाओं पर टिप्पणी करने से बचता है लेकिन इस बार भारत का अंदरूनी मामला होने के बावजूद बाहर से फैलाए जा रहे झूठ के खिलाफ विरोध दर्ज कराया गया है. वहीं ब्रिटिश सरकार की तरफ से कहा गया है, भारत-ब्रिटेन की दोस्ती काफी पुरानी है. दोनों देश आपसी सहयोग से द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत करने के लिए तैयार हैं.
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