Indian navy deployed guided missile destroyer: अरब सागर (Arabian Sea) में दो व्यापारिक जहाज़ों पर हमले के बाद भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपनी तैनाती और चौकसी बढ़ी है. पहले तैनात 3 डिस्ट्रॉयर्स के अलावा एक और डिस्ट्रॉयर को अरब सागर भेज दिया गया है. आसमान से चौकसी के लिए टोही विमान P8 I के अलावा सबसे ताक़तवर ड्रोन सी गार्डियन को भी तैनात किया है. भारत की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर रेड सी और अरब सागर में व्यापारिक जहाज़ों पर हमले बढ़े तो उसे भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है.


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'समंदर में उतरा हूती का काल'


23 दिसंबर को लाल सागर और अरब सागर में दो व्यापारिक जहाज़ों पर हमले के तुरंत बाद ही भारतीय नौसेना ने अपने सबसे आधुनिक डिस्ट्रॉयर्स आईएनएस मुरमुगाओ (INS Mormugao), आईएनएस कोलकाता (INS Kolkata) और आईएनएस कोच्चि (INS Kochi) को अरब सागर में भेज दिया था. अब इनका साथ देने के लिए एक और डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई भी अरब सागर में पहुंच गया है. पूरे अरब सागर में चौकसी और टोह के लिए पहले ही बड़े रडार से लैस एयरक्राफ्ट P8 I को भेज दिया गया था. अब नौसेना ने चौकसी के लिए अपने सबसे ताकतवर सी गार्डियन ड्रोन के भी तैनात कर दिया है. सी गार्डियन लगातार 18 घंटे तक आसमान में रह सकता है और पूरे इलाक़े पर नज़र रख सकता है.


भारतीय तटरक्षक बल ने भी भारत की एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन की सुरक्षा में लगे जहाज़ों की संख्या बढ़ा दी है. तटरक्षक बल ने आसमान से पूरे अरब सागर पर नज़र रखने के लिए डोर्नियर एयरक्राफ्ट की तादाद भी बढ़ाई है. 


सुरक्षित होगा भारत का समुद्री व्यापार


भारत इस पूरे घटनाक्रम से बहुत चिंतित है. भारत के व्यापार का  बड़ा हिस्सा इसी रास्ते से होकर गुज़रता है. एशिया से यूरोप को जोड़ने वाली स्वेज़ नहर पर पहुंचने के लिए लाल सागर और अरब सागर को पार करना होता है. खासतौर पर भारत तक पहुंचने वाला ज्यादातर कच्चा तेल इसी रास्ते से आता है. भारत को आने वाले तेल का बड़ा हिस्सा सऊदी अरब और इराक़ से आता है जो इसी रास्ते से गुज़रता है. पिछले साल से भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदना शुरू किया है जो लाल सागर और अरब सागर के रास्ते आता है.


अरब सागर में सुरक्षा कवच बढ़ाएगा भारत


इस तेल के कारण पिछले एक साल में भारत में तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है. अगर इस रास्ते पर जहाज़ों का आवागमन असुरक्षित हुआ तो तेल को लाने के लिए अफ्रीका के नीचे से आना पड़ेगा. इस रास्ते से माल आने में न केवल हफ्तों की देरी होगी बल्कि क़ीमत में भी 50 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक भारत आने वाले दिनों में अरब सागर में सुरक्षा में और बढ़ोत्तरी कर सकता है.