मुंबई: देश की सुरक्षा को देखते हुए भारत लगातार विध्वंसक युद्धपोत और पनडुब्बी (Submarine) निर्माण के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ा रहा है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने रविवार को भारतीय नौसेना (Indian Navy) को आईएनएस विशाखापत्तन (INS Visakhapatnam) सौंपा ता और अब नेवी को कलवरी क्लास की चौथी सबमरीन आईएनएस वेला (INS Vela) मिलने वाली है, जो 25 नवंबर को भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगी.


इंडियन नेवी में शामिल हो चुकी हैं ये सबमरीन


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कलवरी क्लास की चौथी सबमरीन आईएनएस वेला (INS Vela) को मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड में बनाया गया है. इससे पहले आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी और आईएनएस करंज भारतीय नौसेना में शामिल हो चुकी हैं. ये सारी सबमरीन फ्रांसीसी स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन की तकनीक पर बनाई गई हैं और दुनिया की बेहतरीन सबमरीन में से हैं.


एक बार में तय कर सकती है 1020 किमी की दूरी


आईएनएस वेला (INS Vela) 75 मीटर लंबी है और इसका वजन 1615 टन है. इसमें 35 नौसैनिक और 8 ऑफिसर रह सकते हैं और ये समुद्र के अंदर 37 किलोमीटर (20 नॉटिकल मील) की रफ्तार से चल सकती है. ये एक बार 1020 किमी (550 नॉटिकल मील) की दूरी समुद्र के अंदर तय कर सकती है और एक बार अपने बेस से निकलने के बाद 50 दिन तक समुद्र में रह सकती है.


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पलक झपकते होगा दुश्मन के जहाज का खात्मा


आईएनएस वेला (INS Vela) में दुश्मन के जहाज पर हमला करने के लिए 18 टॉरपीडो लगे हुए हैं. इसमें टॉरपीडो की जगह 30 समुद्री सुंरगे भी लगाई जा सकती हैं, जिससे दुश्मन के जहाजों को तबाह किया जा सकता है. ये सबमरीन दुश्मन के जहाजों को तबाह करने के लिए मिसाइलों से भी लैस है, जो पलक झपकते दुश्मन का खात्मा कर सकती हैं.



इंडियन नेवी के पास इस समय हैं कुल 16 सबमरीन


भारतीय नौसेना में इस समय कुल 16 सबमरीन (Submarine) हैं. इसमें स्वदेशी न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस अरिहंत के अलावा 4 शिशुमार क्लास और 8 सिंधु क्लास सबमरीन हैं. स्वदेश में बनी कलवरी क्लास की तीन सबमरीन भी नौसेना में शामिल हो चुकी हैं. आईएनएस वेला (INS Vela) के नौसेना में शामिल होने के बाद इनकी तादाद कुल 17 हो जाएगी. कलवरी क्लास की दो और सबमरीन वागीर और वागशीर के अगले साल के अंत तक नौसेना में शामिल होने की संभावना है. अरिहंत क्लास की स्वदेशी न्यूक्लियर सबमरीन अरिघात के समुद्री ट्रायल चल रहे हैं और इसके अगले साल तक नौसेना में शामिल होने की संभावना है. नौसेना अगले दशक तक 9 न्यूक्लियर और 6 डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन बनाने की योजना पर काम कर रही है.


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