नई दिल्ली: चीन (China) अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. एक बार फिर चीन की सेना ने पैंगोंग झील (Pangong lake)  के दक्षिण छोर में घुसपैठ की कोशिश की लेकिन इस बार उसे जबर्दस्त हार का सामना करना पड़ा. पहले से मुस्तैद भारतीय सेना (India Army) ने ऐसा जवाब दिया कि चीन के सैनिक उल्टे पांव भाग खड़े हुए. 83 दिन के भीतर तीसरी बार चीन को मुंह की खानी पड़ी है. 


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सूत्रों के मुताबिक, सोमवार को भी चीन गलवान की घटना को दोहराना चाहता था. ताजा घटना लद्दाख के पैंगोग झील के दक्षिणी छोर पर शेनपाओ पर्वत जिसे गॉड पाओ पहाड़ी भी कहते हैं, के पास हुई. सूत्रों की मानें तो बड़ी संख्या में चीन के सैनिक पहाड़ी की तरफ आ रहे थे.


गलवान की तरह ही चीन के सैनिकों के पास कील लगे रॉड और बैट थे पहाड़ी पर पहले से ही मुस्तैद और चौकन्नी भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों को सावधान किया. बार-बार चीन के सैनिकों को लौटने के लिए कहा लेकिन चीन के सैनिक लगातार आगे बढ़ते रहे. जब चीनी सैनिक नहीं रुके तब भारतीय सेना ने वॉर्निंग शॉट्स फायर किए लेकिन फायरिंग इस तरह की कि किसी भी चीनी सैनिक को गोली न लगे. भारतीय सैनिकों का आक्रमक रुख देखकर चीन के सैनिक उल्टे पांव भाग खड़े हुए.   



अपनी गलती मानने की बजाय चीन इसी घटना को उल्टा भारत पर उकसावे की कार्रवाई का आरोप लगा रहा है. चीन के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता कर्नल झांग शुलई ने बयान जारी करते हुए आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'भारतीय सेना ने चीन के बॉर्डर गार्ड्स पर फायरिंग की. चीन के बॉर्डर गार्ड्स को हालात स्थिर करने के लिए मजबूरन जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी. भारत की कार्रवाई ने चीन और भारत के बीच समझौतों का गंभीर उल्लंघन किया है. इससे क्षेत्रीय तनाव और गलतफहमियां बढ़ गई हैं. भारत की सैन्य कार्रवाई गंभीर उकसावे वाली और बहुत बुरे स्वभाव की है. हम भारतीय पक्ष से अनुरोध करते हैं कि खतरनाक कार्रवाइयों को तुरंत रोकें, तुरंत लाइन क्रॉस करने वाले सैनिकों को पीछे ले, फ्रंट-लाइन सैनिकों को सख्ती से रोके, और उन सैनिकों को जांच कर दंडित करें जिन्होंने फायरिंग की ताकि दोबारा इस तरह की घटना न हो.'  


ये चीन का पक्ष है जो कि सरासर झूठ है. भारत सरकार या सेना की तरफ से इस झड़प की खबरों को लेकर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. सच ये है कि चीन अपनी हार और अवैध घुसपैठ को छिपाने के लिए भारत पर मनगढंत आरोप लगा रहा है. 


भारतीय सेना चीन के मुकाबले बेहतर स्थिति में
29 और 30 अगस्त की रात भारत की सेना को जानकारी मिली कि चीन पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में घुसपैठ करने की योजना बना रहा है. ये इलाका भारत में है और चीन इस पर कब्जा करना चाहता था. अगर चीन ऐसा कर लेता तो वो पहले से ज्यादा ऊंची जगह पर आकर बैठ जाता। इससे इलाके में उसकी स्थिति मज़बूत हो जाती. लेकिन भारतीय सेना पहले से ज्यादा मुस्तैद थी और भनक लगते ही भारतीय सेना ने कार्रवाई कर दी। भारत के सैनिक चीन के सैनिकों से भी ज्यादा ऊंचाई पर पहुंच गए और बिना एक भी गोली चले चीन की सेना को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा. यानी चीन गलवान के बाद भारत के खिलाफ एक नया मोर्चा खोलना चाहता था लेकिन भारत की सेना ने उसकी ये कोशिश नाकाम कर दी। 


29-30 अगस्त की रात चीन की सेना को पीछे धकेलने के बाद से ही भारतीय सेना ने इस इलाके में बढ़त हासिल कर ली है. यहां पर भारत की सेना चीन के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं और इसलिए चीन की सेना ने दोबारा कल इस इलाके में घुसपैठ की कोशिश की और उसे मुंह की खानी पड़ी. चीन पर भारत की इन दो विजयी अभियान से एक संदेश तो साफ है कि हिंद की सेना अपनी जमीन के एक एक इंच की रक्षा करना जानती है और इसलिए विस्तारवादी नीति अपनाने वाला चीन अपना रोना रो रहा है. 


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