नई दिल्ली: भारत ने शनिवार को चेन्नई के थिरुविदंधई से अपना पहला रियूजेबल हाइब्रिड रॉकेट 'RHUMI-1' लॉन्च किया, जिससे देश के स्पेस टेक्नोलॉजी पोर्टफोलियो में एक और उपलब्धि जुड़ गई.


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तमिलनाडु स्थित स्टार्ट-अप स्पेस जोन इंडिया द्वारा मार्टिन ग्रुप के साथ डेवलप किया गया यह रॉकेट तीन क्यूब सैटेलाइट और 50 पीआईसीओ सैटेलाइट को ले जा रहा है, जिसे मोबाइल लॉन्चर का उपयोग करके एक सब ऑर्बिटल ट्रेजेक्टरी में लॉन्च किया गया है.


इसका उद्देश्य क्या है?


ये सैटेलाइट ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च के उद्देश्यों के लिए डेटा और जानकारी इकट्ठा करेंगे. आरएचयूएमआई-1 एक जनरल फ्यूल बेस्ड  हाइब्रिड मोटर और इलेक्ट्रिकली ट्रिगर किए गए पैराशूट डिप्लॉयर से सुसज्जित है. स्पेसक्राफ्ट 100% पायरोटेक्निक-मुक्त और 0% टीएनटी है.


आरएचयूएमआई-1 रॉकेट एफिशिएंसी में सुधार और ऑपरेशनल कॉस्ट को कम करने के लिए लिक्विड और सॉलिड फ्यूल प्रोपेलेंट सिस्टम दोनों के लाभों को जोड़ता है.


क्या हैं इसकी मुख्य विशेषताएं?


फ्लेक्सिबिलिटी और रियूजेबिलिटी पर जोर देने के साथ डिजाइन किए गए, आरएचयूएमआई 1 में कई अत्याधुनिक तकनीकें हैं. इसकी प्रमुख क्षमताओं में से एक एडजस्टेबल लॉन्च एंगल है, जिसे 0 और 120 डिग्री के बीच मॉडिफाई किया जा सकता है, जिससे इसकी ट्रेजेक्टरी पर सटीक कंट्रोल की अनुमति मिलती है.


रॉकेट में CO2-ट्रिगर पैराशूट सिस्टम भी है, जो एक इको-फ्रेंडली और कॉस्ट इफेक्टिव मकैनिजम है, जो लॉन्च के बाद रॉकेट कॉम्पोनेंट की सेफ रिकवरी सुनिश्चित करता है. अपने स्पेस एक्सपलोरेशन उद्देश्यों से परे, RHUMI 1 के एप्लिकेशन कृषि, पर्यावरण निगरानी और आपदा प्रबंधन तक फैले हुए हैं.


किसने किया मिशन को लीड?


मिशन RHUMI का नेतृत्व स्पेस जोन के संस्थापक आनंद मेगालिंगम ने ISRO सैटेलाइट सेंटर (ISAC) के पूर्व निदेशक डॉ. माइलस्वामी अन्नादुरई के मार्गदर्शन में किया है.


स्पेस जोन इंडिया चेन्नई की एक एयरो-टेक्नोलॉजी कंपनी है, जिसका उद्देश्य स्पेस इंडस्ट्री में कम लागत वाले, लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन प्रदान करना है.


स्पेस ज़ोन इंडिया (SZI) एरोडायनामिक सिद्धांतों, सैटेलाइट टेक्नोलॉजी, ड्रोन टेक्नोलॉजी और रॉकेट टेक्नोलॉजी पर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग एक्सपीरियंस प्रदान करता है. यह इस इंडस्ट्री में करियर विकल्पों के बारे में जागरूकता भी पैदा करता है. एसजेडआई (SZI) प्राइवेट इंस्टीट्यूशन, इंजीनियरिंग और आर्ट और साइंस कॉलेजों और प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के साथ काम करता है.