नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले की साजिश रचने के मामले में सुरक्षा एजेंसियों ने बड़ी कार्रवाई की और पांच लोगों को गिरफ्तार किया. इस मामले में खुफिया एजेंसी (आईबी) ने गृह मंत्रालय को नक्सलियों की साजिश पर रिपोर्ट भेजी है. ज़ी न्यूज के पास खुफिया एजेंसी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट है. शहरों में मौजूद नक्सलियों के 5 मास्टरमाइंड और उनसे जुड़े नक्सलियों के लिए काम कर रहे, अंडरग्राउंड संगठनों के नाम आईबी ने गृह मंत्रालय को दिए हैं. भीमा कोरेगांव हिंसा में भी नक्सलियों के इशारे पर इन पांच लोगों के खिलाफ कई सबूत मिले. आईबी की रिपोर्ट में वकील से लेकर नागपुर के एक प्रोफेसर का भी नाम शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, नक्सल समर्थित गुट और नक्सलियों के बीच पैसों के भी लेन-देन के सबूत मिले हैं. 


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आपको बता दें कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले की साजिश रचने के मामले में सुरक्षा एजेंसियों ने बड़ी कार्रवाई की है. पुणे पुलिस ने कथित रूप से पीएम मोदी की हत्‍या की साजिश रचने के मामले में पांच बड़ी गिरफ्तारियां की हैं. इनमें प्रोफेसर, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हैं. ये सभी गिरफ्तारियां दिल्ली, फरीदाबाद, ठाणे, मुंबई और हैदराबाद से हुई है.


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सुरक्षा एजेंसियों ने फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज को गिरफ्तार किया है. उनका लैपटॉप और पेन ड्राइव भी जब्त कर लिया गया है. वहीं ठाणे से अरुण परेरा और मुंबई से वरनन गोंजाल्विस को हिरासत में लिया गया है. दिल्‍ली से गौतम नवलखा और हैदराबाद से वरवर राव को भी गिरफ्तार किया गया है. इन सभी को नक्‍सलियों से साठगांठ के आरोप में हिरासत में लिया गया है. नक्‍सली कथित रूप से पीएम मोदी पर हमले की साजिश रच रहे थे. पकड़े गए सभी लोग सामाजिक कार्यकर्ता और कलाकार हैं.


वहीं, देश में आतंकी और नक्‍सली घटनाओं को बढ़ाने के लिए नक्‍सली अब जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंकियों से गठजोड़ करने की कोशिश कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, नक्‍सल समर्थित समूह इसकी साजिश रच रहे हैं. ये समूह कश्‍मीर में अपने नेटवर्क को मजबूत कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नक्‍सल समर्थित समूहों के 15 सदस्‍यों ने इस साल मई में कश्‍मीर के कई इलाकों का दौरा किया है. इनमें अनंतनाग, बरामूला, बडगाम, कुपवाड़ा और शोपियां जैसे संवेदनशील इलाके शामिल हैं. नक्‍सल समर्थित समूहों ने आतंकियों के उन मामलों की रिपोर्ट बनाई है, जिनके मामले कई साल से लंबित हैं.