Hindu Muslim Marriage: भारत में गैर धर्म में होने वाली शादियां अक्सर विवादों में रहती हैं. कभी परिजनों की आपत्ति तो कभी किसी विवाह का कानून सम्मत यानी वैध न होना. ऐसे मामले चर्चा में रहने के साथ-साथ खबरों में भी सुर्खियां बटोरते हैं. खासकर हिंदू-मुस्लिम शादी हो तो विवाद यानी बवाल होने की संभावना बढ़ जाती है. कुछ ऐसे ही एक मामले की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. अपने आदेश में हाईकोर्ट ने मुस्लिम लॉ का हवाला देते हुए कहा, 'मुस्लिम लड़का किसी ऐसी लड़की से विवाह नहीं कर सकता जो मूर्तिपूजक या अग्नि की उपासना करती हो. इस तरह मुस्लिम लड़की सिर्फ मुस्लिम युवक से शादी कर सकती है. ऐसे में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होने के बावजूद ये शादी पर्सनल लॉ के तहत वैध विवाह नहीं होगी.'


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याचिका खारिज


मध्य प्रदेश के अनूपपुर की 23 वर्षीय हिंदू लड़की और 23 साल के मुस्लिम युवक दोनों ने अपनी याचिका में कहा था - 'वो एक दूसरे से प्रेम करते हैं. इसलिए उन्होंने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह पंजीकरण अधिकारी के सामने आवेदन किया है. अपनी पेशी के दौरान उन्होंने पुलिस प्रोटेक्शन भी मांगी थी.'  कोर्ट ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर हुई ये शादी एक फसादी विवाह हो सकती है. ऐसे में याचिका खारिज की जाती है.


हाईकोर्ट ने इस दौरान सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एक मामले का जिक्र भी किया जिसमें मुस्लिम पुरुष और हिंदू महिला की शादी से पैदा हुए बच्चों के उत्तराधिकार अधिकारों के संबंध में विवाद हुआ था.


इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा था ऐसा ही मामला


ऐसे ही एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर धार्मिक विवाह पर महत्वपूर्ण फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने कहा, 'बिना धर्म बदले  अंतर धार्मिक शादी हो सकती है. स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत बिना धर्म परिवर्तन किया अंतर धार्मिक विवाह मान्य है. हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़े को विवाह करने की इजाजत दी. कोर्ट ने पुलिस को जोड़े की सुरक्षा प्रदान करने का भी निर्देश दिया.'


UP के हापुड़ की एक युवती और युवक ने लिव इन रिलेशन में रहते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल का सुरक्षा की गुहार लगाई थी. उनका कहना था कि दोनों ने विवाह की न्यूनतम निर्धारित आयु भी पूरी कर ली है. वो बिना एक दूसरे का धर्म परिवर्तन कराए पति-पत्नी की तरह से रहना चाहते हैं. लेकिन रिश्तेदारों से उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं. ऐसे में जब तक उन्हें सुरक्षा नहीं दी जाती है वह विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत शादी नहीं कर पा रहे हैं.