Pan Singh Tomar: एक बार फिर चर्चा में पान सिंह तोमर, एनकाउंटर में इस पुलिस अधिकारी का था खास रोल
IPS Vijay Raman Story: आईपीएस अधिकारी विजय रमन अब इस दुनिया में नहीं हैं, देश के तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों में इनकी गिनती होती थी. इन्होंने बागी पान सिंह तोमर के एनकाउंटर में अहम भूमिका निभाई थी, यही नहीं 2001 संसद हमले के मास्टरमाइंड गाजी बाबा को भी मार गिराया था.
Pan Singh Tomar Vijay Raman Story: चंबल के बीहड़ो के बारे में अगर किसी को थोड़ी बहुत समझ होगी तो पान सिंह तोमर(Pan Singh Tomar) का नाम बरबस याद आएगा. वैसे तो उनके निधन के 42 साल गुजर चुके हैं लेकिन एक बार फिर वो चर्चा में है. वजह यह है कि जिस पुलिस अधिकारी ने उन्हें एनकाउंटर में मार गिराया था उनका निधन हो चुका है.
1981 से पहले पान सिंह तोमर चंबल के बीहड़ों में बड़ा नाम हुआ करते थे. वैसे तो नाता उनका सेना से था. वो बड़े धावकों में से एक थे लेकिन पारिवारिक विवाद की वजह से वो बिहड़ों में कूद पड़े. पान सिंह तोमर की बागी बनने की कहानी से पहले उस पुलिस अधिकारी(IPS Officer Vijay Raman) के बारे में जानना जरूरी है जिसने पान सिंह को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था.
पान सिंह को मार गिराया
पान सिंह तोमर को मारने वाले आईपीएस अधिकारी विजय रमन ने 72 साल की उम्र में पुणे में आखिरी सांस ली. वो लंबे समय से कैंसर का सामना कर रहे थे लेकिन जिंदगी की जंग में सांस ने शरीर का साथ नहीं दिया. विजय रमन के खाते में दो बड़ी कामयाबियां रहीं. 1981 में वो मध्य प्रदेश में तैनात थे और उस समय चंबल के इलाके में पान सिंह तोमर खौफ का दूसरा नाम थे. पान सिंह सरकार के लिए सिरदर्द बन चुके थे और उनके खात्मे के लिए जिस ऑपरेशन को चलाया गया उसकी जिम्मेदारी विजय रमन के कंधों पर थी.
जब डाकू करने लगे सरेंडर
विजय रमन ने पान सिंह तोमर को जब एनकाउंटर में ढेर कर दिया उसके बाद बड़े पैमाने पर बागियों और डकैतों ने सरेंडर करना प्रारंभ कर दिया था. जिस समय वो डकैतों के खिलाफ अभियान चला रहे थे उस समय वो भिंड जिले के एसपी थे. इस कामयाबी के बाद उनकी चर्चा जब फैली तो भूतपूर्व पीएम राजीव गांधी ने उन्हें एसपीजी का मुखिया बनाया.इसके बाद विजय रमन ने 2001 संसद हमले के दौरान शौर्य का असाधारण प्रदर्शन किया.संसद हमले के गुनहगार और मास्टर माइंड गाजी बाबा को एनकाउंटर में मार गिराया था. गाजी बाबा(ghazi baba parliament attack mastermind), जम्मू कश्मीर में जैश ए मोहम्मद का कमांडर था.
इस वजह से भी रहे चर्चा में
आमतौर पर दुनिया उन्हें इन दो अभियानों के लिए जानती थी लेकिन 1975 बैच के अधिकारी अपने ऑपरेशन कंटेसा के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने 39 दिन, सात घंटे और करीब 55 मिनट में दुनिया भर की यात्रा की थी और उनकी कामयाबी को लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में जगह भी मिली थी.