Iran vs Pakistan News: ईरान और पाकिस्तान ने भले ही एक दूसरे की सीमा में मिसाइलें दागी हों पर दुनिया के नक्शे में तीसरे स्थान पर लड़ाई छिड़ने के आसार बिल्कुल नहीं हैं. यूक्रेन और गाजा में जो कुछ हो रहा है वैसा पाकिस्तान और ईरान नहीं करने वाले. एक तरह से देखें तो दोनों देश एक ही लेवल पर खड़े दिखते हैं. एक तरफ ईरान शियाओं का देश है तो पाकिस्तान सुन्नी कट्टरपंथी आतंकी संगठनों का अड्डा बन चुका है, जहां से आतंक की सप्लाई की जाती है. दोनों ने एक दूसरे को बम मारे लेकिन गहराई से समझें तो पता चलता है कि इस ऐक्शन से वास्तव में दोनों देशों की सरकारों ने अपनी जनता को केवल खुश करने का काम किया है. 


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दोनों प्रॉक्सी वॉर के मास्टर


हां, जिस तरह की कार्रवाई की गई और जो तस्वीरें आई हैं उससे नहीं लगता कि कोई बड़ा आतंकी नुकसान हुआ है. ईरान ने हमला किया तो दो बच्चों के मारे जाने की बात कही गई. पाकिस्तान ने मिसाइल दागी तो 9 लोगों की मौत की खबर आई. ईरान पश्चिम एशिया में प्रॉक्सी वॉर का मास्टर है तो पाकिस्तान अपने पड़ोस में आतंकियों की खेप भेजता है. ईरान के साथ अमेरिका की दुश्मनी भले हो, लेकिन पाकिस्तान संतुलन साधे रखता है. चीन दोनों देशों के संपर्क में है. इस बार भी तनाव बढ़ा तो वह 'चौधरी' बनकर मध्यस्थता करने की बात कर रहा है. ऐसे में यह समझने में ज्यादा मुश्किल नहीं है कि ईरान-पाकिस्तान ने एक तरह से ड्रिल की है. यह नूरा कुश्ती ही थी जिसका परिणाम सबको पता था. 


पाक और ईरान की चाहत


पाकिस्तान के सुन्नी कट्टरपंथियों का शुरू से एजेंडा रहा है कि वह इस्लामिक देशों के लीडर बनें. ईरान भी कुछ इसी तरह की हसरत रखता है. हालांकि शिया-सुन्नी मतभेद अपनी जगह बने हुए हैं लेकिन मुस्लिम देश होने के कारण पाकिस्तान का एक तबका ईरान के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में भी है. ऐसे में आगे मामला नहीं बढ़ने वाला है. 


ईरान ने हमला क्यों किया?


दोनों देशों में स्थिति सामान्य नहीं है. दोनों देशों में विद्रोही या कहें आतंकी एक्टिव हैं. ईरान पर आरोप लगते रहे हैं कि वह यमन में हूती विद्रोहियों से लेकर लेबनान के हिजबुल्ला को भी फंडिंग करता है. ईरान में पिछले दिनों धमाके हुए और करीब 100 लोगों की जानें गई तो उसने अपने देशवासियों के गुस्से को शांत करने के लिए इराक में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के कथित गुप्त बेस को निशाना बनाया. सीरिया में इस्लामिक स्टेट पर हमले हुए और उसके बाद पाकिस्तान में बमबारी की गई. 


भारतीय सेना के पूर्व कमांडर सैयद अता हसनैन ने एक लेख में कहा है कि हकीकत यह है कि ईरान तीन मोर्चों पर नहीं लड़ सकता है- एक तरफ इराक, इजरायल वाला क्षेत्र और पाकिस्तान. पाकिस्तान के लिए भी लड़ाई करना सुसाइड करने जैसा होगा. चीन के अपने हित हैं इसलिए वह दोनों का गुस्सा शांत कराने में जुटा है. बीजिंग को पता है कि पड़ोस में लड़ाई उसके आर्थिक हितों के लिए लाभदायक नहीं होगी. 


पाकिस्तान का तो इतिहास है वह अपने लोगों की खुशहाली, अर्थव्यवस्था से ज्यादा ताकत दिखाने पर फोकस करता रहा है. पाकिस्तान में तो लोग यह भी कह रहे हैं कि इस तनाव के चलते कहीं चुनाव न टल जाएं, जो एक पक्ष पहले से चाह रहा है. (फोटो- lexica AI)