India-Canada Khalistan: भारत ने ब्रिटेन में खालिस्तान के प्रदर्शनों के मामले पर सख्त रुख अपनाया है. भारत ने कहा है कि उसने ब्रिटिश प्रशासन के सामने इस मुद्दे को उठाया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कई मामलों पर रुख रखा, जिसमें एक यह मुद्दा भी शामिल है. उन्होंने कहा, ब्रिटेन में 2 अक्टूबर को एक विरोध प्रदर्शन हुआ था, और हमने राजनयिकों और परिसरों की सुरक्षा पर अपनी चिंताओं के बारे में ब्रिटिश अधिकारियों को बताया है. बातचीत लगातार जारी है. मुद्दा सुरक्षा के बारे में है, यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि हमारे राजनयिक सामान्य रूप से काम करने में सक्षम हैं और हमारे परिसर सुरक्षित हैं और समुदाय को टारगेट नहीं किया गया है.

 

पिछले महीने ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी को खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में एक गुरुद्वारे में एंट्री करने से रोक दिया था. इस मामले पर अरिंदम बागची ने कहा, हमारे हाई कमीशन को रोका गया था, हमें इसे स्वीकार नहीं कर सकते. ब्रिटेन के साथ हमने इस मुद्दे को उठाया है.


 

हाल ही में कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि भारत एक बढ़ती आर्थिक शक्ति है, महत्वपूर्ण भू राजनीतिक ताक़त है, हम संबंधों को मजबूत करने के लिए गंभीर है. जब इस बारे में अरिंदम बागची से पूछा गया कि क्या कनाडा के पीएम का यह बयान भारत के कड़े रुख को देखते हुए आया है तो उन्होंने कहा, हमने जो मुद्दे उठाए हैं- कनाडा में सुरक्षा के ऐसे हालात रहे कि हमारे राजनयिक वहां काम कर पाएं दूसरा राजनयिकों की संख्या में समानता आए.

 

अफगानिस्तान दूतावास पर क्या बोला MEA

 

वहीं दिल्ली में अफगानिस्तान का दूतावास का कामकाज बंद होने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, नई दिल्ली में दूतावास काम कर रहा है या काम करना जारी रखेगा. हम वहां मौजूद अफगान राजनयिकों के संपर्क में हैं. पिछले सप्ताह दूतावास से संदेश मिला था कि सितंबर के आखिर में अफगानिस्तान अपना दूतावास का कामकाज बंद करना चाहता है. बेशक, ऐसा निर्णय यह एक विदेशी मिशन का आंतरिक मामला है.  लेकिन हमने देखा कि मुंबई और हैदराबाद में अफगान वाणिज्य दूतावासों ने उस फैसले अपनी आपत्ति जताई है. हम यह भी जानते हैं कि राजदूत की लंबे समय से अनुपस्थिति रही है और हाल के दिनों में बड़ी संख्या में अफगान राजनयिकों ने भारत छोड़ दिया है. हम उम्मीद करेंगे कि छात्रों सहित भारत में बड़ी संख्या में अफगान नागरिक जरूरी कांसुलर सुविधा हासिल करना जारी रख सकेंगे. हम अपनी तरफ से अफगानिस्तान के लोगों की सहायता के लिए कोशिशें जारी रखेंगे.