लद्दाख: पूर्वी लद्दाख में चीन (China) के साथ सैन्य तनातनी को 9 महीने पूरे होने वाले हैं. सेना के साथ ITBP के जवान भी लद्दाख की बर्फीली वादियों में देश की सरहदों की सुरक्षा में तैयार बैठे हैं. उनका कहना है कि चीन एक बार हमला करने की हिमाकत करके तो देखे, उसे वो मजा चखाया जाएगा कि दोबारा आंख उठाने की हिम्मत भी नहीं करेगा. 


'चीनियों को दबोचने के लिए तैयार बैठे हैं  ITBP के जवान'


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तवांग में तैनात ITBP के कमांडेंट आई बी झा कहते हैं कि चीन (China) इस बार भारत को सरप्राइज नहीं कर सकता. ITBP के जवान चीनियों को दबोचने के लिए तैयार बैठे हैं. लद्दाख (Ladakh) के साथ ही अरुणाचल प्रदेश के तवांग (Tawang) में भी ITBP की तैयारियां पूरी हैं. यदि चीन यहां पर कोई भी हिमाकत दिखाता है तो उसको करारा जवाब मिलेगा. 


'चीन इस बार हमारा जवाब कभी भूल नहीं पाएगा'


कमांडेंट आई बी झा कहते हैं, 'मेरे जवानों में ये भावना है कि जो मौका लद्दाख (Ladakh) में जवानों को मिला. वह मौका यहां तैनात जवानों को नहीं मिला. हमारी तैयारी इस हद तक है कि यदि चीन ने इस बार कोई गुस्ताखी तो वह हमारे जवाब को कभी भूल नहीं सकेगा.'


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ठंड से बचने के लिए खास टेंटों में रहते हैं जवान 


वे कहते हैं, 'अरुणाचल के तवांग पर चीन (China) की नजर पिछले काफी समय से है. उसकी इस नीयत को हरेक भारतीय जानता है. इसीलिए सर्द हवाओं और 15000 फीट की ऊंचाई पर तैनात ITBP जवान हर वक्त सतर्क रहते हैं. भीषण ढंड से बचने के लिए वे खास तरह के टेंट में रहते हैं. मुस्तैद जवानों की ये कतार चीन के लिए एक बड़ी दीवार है, जिसे पार पाना उसके लिए मुश्किल है.'


साल भर सरहद पर जमे रहते हैं जवान 


अपनी अलर्टनेस के बारे में बताते हुए कमांडेंट आई बी झा कहते हैं, 'हमारे जवान हरेक उस जगह पर तैनात हैं, जहां से चीनियों के आने की थोड़ी-बहुत भी आशंका है. उन इलाकों में हमारी लगातार पेट्रोलिंग चलती रहती है. चाहे बर्फीले पहाड़ हों या ठंडे पानी की नदी, हर चुनौती को पार करके ITBP के जवान अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हैं.' 


याक बना जवानों का भरोसेमंद साथी


वे कहते हैं कि LAC के करीब इतनी ऊंचाई पर डयूटी करना आसान नहीं है. लेकिन यहां पर पहाड़ी जानवर याक ITBP के सबसे अच्छे साथी हैं. वे एक बार में 90 किलो वजन का राशन सीमा पर बने कैंप तक पहुंचाते हैं. इन याक (Yak) की वजह से बर्फीले पहाड़ों पर रहने वाले जवानों को रसद आपूर्ति नियमित बनाए रखने में मदद मिलती है. 


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लद्दाख-तवांग पर जमी हैं चीन की निगाहें


बता दें कि भारत-चीन की सीमा करीब 3488 किमी लंबी है. लेकिन चीन (China) का कहना है कि यह सीमा केवल 2000 किमी है. वह लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं मानता. वर्ष 1962 के युद्ध में अक्साई चिन हड़पने के बाद अब उसकी निगाहें लद्दाख (Ladakh) और तवांग (Tawang) पर लगी हुई हैं. जिसे देखते हुए इन इलाकों में सेना के साथ ही ITBP के जवान भी हथियार और अन्य साजो सामान के साथ साल भर तैनात रहते हैं. 


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