जानिए भारत के पहले स्पेस शटल की कुछ खास बातें
भारत ने सोमवार को अपना पहला स्पेस शटल लॉन्च कर दिया। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) की ये लॉन्चिंग ऐतिहासिक है क्योंकि यह रियूजेबल (दोबारा इस्तेतमाल) शटल पूरी तरह भारत में बना है। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 7 बजे लॉन्च किया गया। पेश है इसकी कुछ खास बातें।
चेन्नई: भारत ने सोमवार को अपना पहला स्पेस शटल लॉन्च कर दिया। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) की ये लॉन्चिंग ऐतिहासिक है क्योंकि यह रियूजेबल (दोबारा इस्तेतमाल) शटल पूरी तरह भारत में बना है। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 7 बजे लॉन्च किया गया। पेश है इसकी कुछ खास बातें।
-आरएलवी भारत का अपना अंतरिक्ष यान ।
-इस स्वदेशी विमान की लंबाई 6.5 मीटर है।
-यह रियूजेबल शटल पूरी तरह भारत में बना है।
-ये व्हीकल स्पेस शटल को ऑर्बिट में छोड़कर एक एयरक्राफ्ट की तरह वापस आने लायक बनाया गया है।
-आरएलवी-टीडी का मुख्य लक्ष्य पृथ्वी की कक्षा में उपग्रह पहुंचाना और फिर वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करना है, यान को एक ठोस रॉकेट मोटर से ले जाया जाता है।
-एक विशेष रॉकेट बूस्टर की मदद से वायुमंडल में भेजा गया
-इसरो ने पहली बार पंखों वाले उड़ान यान का प्रक्षेपण किया है।
-सरकार ने आरएलवी-टीडी परियोजना में 95 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
-इस यान का वजन 1.75 टन था।
-व्हीकल के एडवान्स्ड वर्जन को स्पेस के मैन्ड मिशन में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
-अभी ऐसे रियूजेबल स्पेस शटल बनाने वालों के क्लब में अमेरिका, रूस, फ्रांस और जापान ही हैं।
- रूस ने 1989 में ऐसा ही स्पेस शटल बनाया। इसने सिर्फ एक बार ही उड़ान भरी।
- अमेरिका ने पहला आरएलवी टीडी शटल 135 बार उड़ाया। 2011 में यह खराब हो गया।