Jaishankar News: हमारा दुश्मन... जयशंकर की वो धारदार बात, तब मंडेला ने भी यही कहा था
भारत अब खुलकर पश्चिम को जवाब देता है. मीडिया के जरिए भारतीय नेताओं को बुली करने की कोशिश की जाती है. जयशंकर के साथ जब भी ऐसी कोशिश हुई उन्होंने दो टूक जवाब दिया. कई बार वह नेल्सन मंडेला की बात दोहराते हुए पश्चिम को बड़ा संदेश दे चुके हैं.
Jaishankar On West: विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भारत का 'मिसाइल मिनिस्टर' यूं ही नहीं कहा जाता. वैश्विक मंचों पर वह अपने तर्कों से पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों को खामोश कर देते हैं. जवाब भी ऐसा कि 10 सेकेंड में बोलती बंद हो जाए. दरअसल, जब भी अमेरिका, यूरोप और दूसरे देश गुटबाजी के लिए भारत पर प्रेशर बनाने की कोशिश करते हैं तो पश्चिमी मीडिया तीखे सवाल दागने शुरू कर देता है. रूस- यूक्रेन युद्ध पर भी ऐसा ही हुआ था. जयशंकर से सवाल हुए तो उन्होंने एक लाइन में यूरोप को ही नसीहत दे डाली थी. खासबात यह है कि इस एक लाइन का नेल्सन मंडेला कनेक्शन है.
जी हां, सोशल मीडिया पर मंडेला का वो बयान वायरल है. दशकों पहले नेल्सन मंडेला ने अमेरिका में एक लाइन में जो कहा था उसकी गूंज आज भी सुनाई देती है. अब भारत के विदेश मंत्री वही बात कह रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध पर जयशंकर ने कहा था कि यूरोप को उस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं लेकिन दुनिया की समस्या अपनी नहीं है. वह कई मंचों पर इस बात को अलग-अलग तरह से कह चुके हैं.
चीन बॉर्डर का जिक्र और सवाल
जब यूक्रेन के सपोर्ट में पश्चिमी देश खासतौर से यूरोप और अमेरिका एकजुट हुए तो भारत पर भी प्रेशर बनाया गया. रूस के साथ संबंधों को देखते हुए अमेरिकी गुट चाहता था कि भारत रूस से तेल लेना बंद कर दे और उसके आक्रमण की आलोचना करे. उनसे पत्रकार ने सवाल किया कि अगर बॉर्डर पर चीन के साथ झड़प होती है तो क्या भारत सपोर्ट मांगने की स्थिति में होगा? जयशंकर ने कहा कि भारत को एक पक्ष चुनने की जरूरत नहीं है.
तब अमेरिका में बोले थे मंडेला
इस बात को दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज नेता नेल्सन मंडेला काफी पहले कह चुके हैं. तब वह अमेरिका गए थे. खुली सभा में उनसे पूछा गया, 'जो लोग मानवाधिकार के लिए और रंगभेद के खिलाफ आपके संघर्ष की चर्चा करते हैं वे आपने ह्यूमन राइट मॉडल से निराश हैं. जेल से रिहा होने के बाद आप पिछले छह महीनों में तीन बार फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात से मिले, आपने उनकी प्रशंसा की. आपने गद्दाफी को लेकर अपने विचार रखे. मानवाधिकारों और स्वतंत्रता एवं शांति के लिए उनकी सराहना की.'
आगे सवाल किया गया कि आपने फिदेल कास्त्रो की भी प्रशंसा की. उन्हें ह्यूमन राइट्स का लीडर कहा. यह भी बोले कि क्यूबा मानवाधिकार के मामलों में कई देशों से ऊपर है. यह जानते हुए कि संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज में है कि क्यूबा काफी खराब मुल्क है. मैं चकित हूं कि क्या यह आपका ह्यूमन राइट्स का मॉडल है और अगर ऐसा है तो क्या आप चाहेंगे कि गद्दाफी, अराफात या कास्त्रो जैसे लोग आने वाले समय में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बनें?
सवाल पूछने वाले ने काफी समय लिया लेकिन मंडेला ने एक लाइन में उसे चुप करा दिया और तालियां बजने लगीं. मंडेला ने कहा, 'एक गलती जो कुछ पॉलिटिकल एनालिस्ट करते हैं कि वे यह सोचते हैं कि उनका दुश्मन हमारा दुश्मन होना चाहिए.'