विदेश मंत्री Jaishankar ने बताया, Afghanistan को लेकर क्या रहेगा भारत का रुख; कही ये बात
अफगानिस्तान को लेकर भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. भारत ने कहा है कि वो अफगानिस्तान के साथ अपनी ऐतिहासिक दोस्ती नहीं तोड़ेगा. इसके साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगान की मदद के लिए अंतर्राष्ट्रीयकरण समुदाय से आगे आने को कहा है.
नई दिल्ली: भारत ने अफगानिस्तान (Afghanistan) को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. भारत (India) का कहना है कि वो पहले की तरह ही अफगानों के साथ खड़ा रहेगा. नई दिल्ली ने अफगानिस्तान की सहायता करने वाले देशों को निर्बाध पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों को बिना किसी भेदभाव के राहत सामग्री के वितरण पर जोर दिया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने यह भी कहा है कि अफगानिस्तान एक अहम और चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है और वहां बेहतर माहौल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साथ आना चाहिए.
Poverty के खतरे पर दिलाया ध्यान
अफगानिस्तान में मानवीय हालात पर संयुक्त राष्ट्र की उच्चस्तरीय डिजिटल बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने गरीबी के बढ़ते खतरे पर भी ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने कहा कि इसका क्षेत्रीय स्थिरता के लिए विनाशकारी असर हो सकता है. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान के भविष्य में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका का लगातार समर्थन किया है. अफगानिस्तान के प्रति भारत का दृष्टिकोण हमेशा इसके लोगों के साथ हमारी ऐतिहासिक मित्रता द्वारा निर्देशित होता रहा है, आगे भी ऐसा ही रहेगा.
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World को रहेगी ये अपेक्षा
विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में राहत सामग्री पहुंचने पर दुनिया अफगान समाज के सभी वर्गों में मानवीय सहायता के भेदभाव रहित वितरण की स्वाभाविक रूप से अपेक्षा रखेगी. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा हालात में व्यापक बदलाव हुए हैं और इसके परिणामस्वरूप मानवीय जरूरतों में भी परिवर्तन देखा गया है.
Afghan पर है India की नजर
एस जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान के करीबी पड़ोसी के रूप में वहां के घटनाक्रम पर भारत नजर रख रहा है. यात्रा और सुरक्षित आवाजाही का मुद्दा मानवीय सहायता में अवरोध बन सकता है, जिसे तत्काल सुलझाया जाना चाहिए. बता दें कि अफगानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को लेकर कई देशों के रुख में बदलाव देखने को मिल रहा है. उन्होंने संकेत दिए हैं कि यदि तालिबान हिंसा मुक्त शासन देने और महिलाओं के अधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में काम करता है, तो वो उसे मान्यता दे सकते हैं.