Jaishankar On Rahul Gandhi: अगला लोकसभा चुनाव साल 2024 में होने वाला है लेकिन उससे पहले ही देश की दो बड़ी पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी तकरार तेज होने लगी है. कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने अपने एक बयान में कहा था कि विदेश मंत्री चीनी खतरे को समझ नहीं रहे है. अब इसी पर केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए करारा जवाब दिया है. राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि वह राहुल गांधी से चीन के बारे में उन्हें समझाने का आग्रह करना चाहते थे लेकिन फिर पता चला कि राहुल गांधी खुद ही चीनी राजदूत के संपर्क में हैं. केंद्रीय विदेश मंत्री ने आगे कहा कि इसके बाद मैंने सोचा कि सीधे मूल स्रोत से ही संपर्क करना बेहतर होगा.


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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया दावा


कटाक्ष करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दावा किया कि राहुल गांधी खुद ही चीनी राजदूत से चीन पर ‘क्लास’ ले रहे हैं. राहुल गांधी ने अपने एक बयान में कहा था कि विदेश मंत्री को चीनी ख़तरे की सही समझ नहीं है. एस जयशंकर राहुल गांधी की इस आलोचना का जवाब दे रहे थे. आपको बता दें कि मोदी सरकार की विदेश नीति पर आयोजित सवाल-जवाब के एक सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि विदेश में भारत की प्रतिष्ठा कम न हो यह सुनिश्चित करना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है. उन्होंने आगे कहा कि पिछले तीन वर्षों में चीन पर काफी गलतबयानी की गई है. 


केंद्रीय मंत्री ने दिया जवाब


केंद्रीय मंत्री से एक फोरम द्वारा मोदी सरकार की विदेश नीति पर आयोजित एक संवाद सत्र के दौरान राहुल गांधी के उस बयान के बारे में पूछा गया था कि भारत चीन से खतरे को समझ नहीं पाया. उनसे यह भी पूछा गया कि देश में ही इस तरह की आलोचना से क्या अंतरराष्ट्रीय मंच पर बातचीत करने की भारत की क्षमता पर असर पड़ा है. जवाब में एस जयशंकर ने कहा कि कुछ मुद्दों पर हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि कम से कम इस तरीके से बर्ताव करें कि विदेश में हमारी सामूहिक स्थिति कमजोर न हो. इस संदर्भ में उन्होंने लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील पर चीन द्वारा निर्मित एक पुल के बारे में उठाए मुद्दों का जिक्र किया और एक उदाहरण दिया. जयशंकर ने कहा कि विपक्ष ने कहा कि आपने क्षेत्र गंवा दिया है और वे एक पुल बना रहे हैं लेकिन सच्चाई यह थी कि उस क्षेत्र में सबसे पहले चीनी 1959 में आए थे और फिर उन्होंने 1962 में उस पर कब्जा जमा लिया था. 


(इनपुट: एजेंसी)