DNA Analysis: क्या जम्मू कश्मीर में बनने जा रही BJP की सरकार? आखिर किस बात से महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला में फैल गया है डर
Jammu Kashmir: क्या जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में पहली बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने जा रही है. आखिर ऐसी क्या वजह है, जिसके बारे में जानकर PDP और NC के नेता डर गए हैं.
Jammu Kashmir Assembly Election: जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) भारत का अभिन्न अंग है. तीन साल पहले तक ये सिर्फ कहने की बात थी क्योंकि धारा-370 और 35-A की वजह से कश्मीर में ना तो भारत के किसी अन्य राज्य के लोग स्थाई रूप से बस सकते थे, ना जमीन खरीद सकते थे और ना पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव में वोट डाल सकते थे. अब जम्मू-कश्मीर में देश का कोई भी नागरिक अपने इस लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है. चुनाव आयोग ने इसका इंतजाम कर दिया है, जिसको लेकर दो बड़े ऐलान किए गए हैं.
गैर-कश्मीरियों को भी मिलेगा मतदान का अधिकार
पहला ये कि गैर कश्मीरी लोगों को भी अब जम्मू-कश्मीर में वोटिंग राइट मिलेंगे और दूसरा ये कि जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों के जवान भी वहां के वोटर बन सकेंगे. चुनाव आयोग के इस फैसले के दो पहलू हैं, जिनका आज हम DNA टेस्ट करेंगे.
एक पहलू तो है- चुनावी, क्योंकि चुनाव आयोग के इस फैसले से जम्मू-कश्मीर में करीब 33 फीसदी वोटर्स बढ़ जाएंगे. और दूसरा पहलू है- राजनीतिक, क्योंकि चुनाव आयोग के इस फैसले को PDP और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बीजेपी की साजिश बताया है.
अनुच्छेद 370 खत्म होने से खुला नया रास्ता
पहले इस खबर के चुनावी पहलू की बात करते हैं. दरअसल वोटर लिस्ट का एक विशेष संशोधन, गैर-स्थानीय लोगों को पहली बार जम्मू और कश्मीर (Jammu Kashmir) में वोटर के रूप में रजिस्टर करने की अनुमति देगा. ऐसा इसलिए हो पाया है क्योंकि वर्ष 2019 में धारा 370 के साथ ही कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को खत्म कर दिया था जिसके बाद वहां गैर-कश्मीरियों को वोटिंग का अधिकार देने का रास्ता भी साफ हो गया था.
अब आपको बताते हैं कि आखिर कश्मीर में पहले क्या होता था और अब कश्मीर में क्या बदल जाएगा. धारा-370 के साथ ही हटाई गई धारा 35A में ये प्रावधान था कि जम्मू-कश्मीर में सिर्फ जम्मू-कश्मीर के मूल निवासी ही वोट डाल सकते थे. इसके लिए डोमिसाइल की जरूरत पड़ती थी. लेकिन अब कश्मीर में नौकरी कर रहे सरकारी कर्मचारी, पढ़ाई कर रहे छात्र और प्रवासी मजदूर भी वोट डाल पाएंगे, जो कश्मीर के स्थानीय निवासी नहीं हैं.
वर्ष 2014 में आखिर बार हुए थे असेंबली चुनाव
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में आखिरी बार वर्ष 2014 में विधानसभा का चुनाव हुआ था और नवंबर 2018 में विधानसभा को भंग कर दिया गया था. वहां धारा 370 हटने के बाद से विधानसभा के चुनाव नहीं हुए हैं. अगले साल की शुरुआत में वहां चुनाव हो सकते हैं.
चुनाव आयोग के इस फैसले से जम्मू-कश्मीर में 20 से 25 लाख नए वोटर्स जुड़ने की उम्मीद है. जम्मू-कश्मीर में अभी करीब 76 लाख 70 हजार वोटर्स हैं, नये नियम के बाद ये आंकड़ा करीब एक करोड़ को टच कर जाएगा. एक अक्टूबर 2022 या उससे पहले जिन लोगों की उम्र 18 वर्ष पूरी हो चुकी है, वो सभी स्थानीय या गैर स्थानीय लोग जम्मू-कश्मीर की वोटिंग लिस्ट में अपना नाम जुड़वा सकते हैं.
ये हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि अब जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में रहने वाले प्रवासियों को भी वहां अपने वोटिंग के अधिकार का इस्तेमाल करने की सहूलियत हो जाएगी . इसके नियम क्या होंगे, ये भी जम्मू-कश्मीर के निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को बताए.
PDP और NC के नेताओं के पेट में उठ रहा दर्द
ये फैसला उन लोगों को जवाब है, जिन्हें आज भी जम्मू-कश्मीर में धारा-370 के सपने आते हैं और जो बात-बात ये पूछते रहते हैं कि कश्मीर से धारा-370 खत्म होने से क्या हो जाएगा? जम्मू-कश्मीर में गैर-स्थानीयों को वोट का अधिकार मिलने का सीधा सा एक ही मतलब है. वो ये कि - अब कश्मीर में भी भारत के कानून लागू होते हैं, जो पहले नहीं होता था . Registration of Electors Rule-1960 में साफ-साफ लिखा हुआ है कि अगर आप भारत के नागरिक हैं तो किसी भी राज्य में अपना वोटर ID Card बनवा सकते हैं.
एक वोटर, एक वक्त पर सिर्फ एक ही वोटर ID Card का इस्तेमाल कर सकता है. अगर कोई नागरिक किसी दूसरे राज्य में वोटिंग का अधिकार पाना चाहता है तो उसे पहले राज्य में बने वोटर ID Card को सरेंडर करना होगा, तभी वो दूसरे राज्य में वोटर बन सकता है.
धारा-370 के तहत जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) का विशेष दर्जा खत्म होने के पहले तक कश्मीर में केवल स्थानीय निवासियों को ही राज्य में वोट डालने का अधिकार था. लेकिन अब राज्य का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद देश के दूसरे हिस्सों जैसे ही नियम लागू हो गए हैं ये बड़ी सिंपल सी बात है. लेकिन इससे PDP और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे राजनीतिक दलों के नेताओं के पेट में जबरदस्त दर्द उठ रहा है.
महबूबा और उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी पर दागे सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इसका ये मतलब निकाला है कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के चुनाव परिणामों को प्रभावित करना चाह रही है. नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला पूछ रहे हैं कि क्या बीजेपी अब इतना असुरक्षित महसूस कर रही है कि उसे वोटों के लिए बाहर से आयात करना पड़ रहा है.
वैसे PDP और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों का बौखलाना बनता भी है. जिनकी पूरी पॉलिटिक्स ही कश्मीर में गैर-स्थानीय लोगों के विरोध पर आधारित थी. अब निर्वाचन आयोग के इस फैसले ने महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं की अलगाववादी सियासत के ताबूत में एक और कील ठोंक दी है.
अब जम्मू-कश्मीर में वोटरों की संख्या में करीब 25 लाख का इजाफा हो जाएगा. ये सत्ता के गणित को बदलने के लिए बहुत बड़ी संख्या है. ऊपर से नए वोटर्स में ज्यादातर गैर-कश्मीरी होंगे, जो कश्मीर में धारा-370 हटाए जाने के समर्थक होंगे. यानी इन वोटरों के जुड़ने से सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को होने के चांस हैं. यही वजह है कि कश्मीर में बीजेपी के विरोधी दलों का BP बढ़ा हुआ है. जो पहले भी चुनाव आयोग के परिसीमन वाले फैसले का झटका झेल चुके हैं.
प्रदेश में कई तबकों को मिलेगा सीटों में रिजर्वेशन
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में परिसीमन के जरिये सात विधानसभा सीटों को बढ़ाया गया है. बढ़ी हुई सीटों में जम्मू की 6 और कश्मीर की एक सीट शामिल है. पहले वहां 83 सीटें हुआ करती थीं जो अब 90 पहुंच गईं हैं. इसमें कश्मीर की 47 और जम्मू की 43 सीटें हैं. पहली बार दो सीटें कश्मीरी पंडितों के लिए रिजर्व रखने की भी बात है और पहली बार एसटी कोटे के लिए 9 सीटों को रिजर्व रखने की भी योजना है.
इसके साथ ही PoK से जो विस्थापित शरणार्थी हैं, उनके लिए भी रिजर्वेशन का प्रस्ताव है. अभी तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का हुआ करता था, जो कि अब 5 साल का हो जाएगा. ये वो बदलाव हैं जो कश्मीर को अपनी बपौती समझने वालों को चुभ रहे हैं. उन्हें ये समझना होगा कि कश्मीर में अब भारत का कानून लागू है.
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