Jammu Kashmir Encounter: जम्मू-कश्मीर के राजौरी में हुए एनकाउंटर में कैप्टेन एमवी प्रांजल (Martyred Captain MV Pranjal) शहीद हो गए. कैप्टन प्रांजल 63 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे. कैप्टन प्रांजल ने आतंकवादियों से लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया. इस तरह देश सेवा करते हुए कैप्टन प्रांजल अमर हो गए. भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर से आतंकवादियों का जड़ से सफाया करने के लिए प्रतिबद्ध है. आतंकवादी घाटी के हों या पाकिस्तानी सबका नंबर आ रहा है. सेना उन्हें फौरन ठिकाने लगा रही है. ऐसे में सेना और सुरक्षा बलों ने कहा है कि कैप्टन प्रांजल समेत पांच भारतीय शूरवीरों की कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी. 


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28 साल की उम्र में शहादत


कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले सेना के अफसर कैप्टन प्रांजल 28 साल की उम्र में शहीद हो गए. वह मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL) के पूर्व निदेशक श्री वेंकटेश और श्रीमती अनुराधा के इकलौते बेटे थे. प्रांजल ने अपनी स्कूली शिक्षा दक्षिण कन्नड़ जिले के सूरतकल में हासिल की थी. एमवी प्रांजल जिनका जन्म और पालन-पोषण मंगलुरु में हुआ. वो नेशनल डिफेंस एकेडमी से इंजीनियरिंग ग्रेजुएट थे. 


सेना में जाने का बनाया था मन


बचपन से ही उन्होंने सेना में भर्ती होने का प्रण लिया था. पिता ने बताया कि बेटे ने केमिकल इंजीनियरिंग छोड़ सेना में शामिल होने का फैसला लिया. दो साल पहले उसे राष्ट्रीय राइफल्स में तैनाती मिली थी.


दो साल पहले हुई थी शादी


प्रांजल, जो एक स्काउट छात्र भी थे, उनकी शादी दो साल पहले बेंगलुरु की अदिति से हुई थी. कैप्टन प्रांजल की शादी कश्मीर जाने से पहले हो गई थी. दो साल पहले उनकी तैनाती कश्मीर में हुई थी. उनकी पत्नी अदिति चेन्नई में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है. जो पति की शहादत की खबर सुनकर अपने घर पहुंचीं. शहादत से उनका परिवार सदमे में है. उन्हें बेटे की शहादत पर गर्व है.


पत्नी से की आखिरी बात


शहीद कैप्टन के पिता ने बताया कि प्रांजल ने फैमिली से आखिरी बात अपनी पत्नी अदिति से की थी. उसने अदिति से कहा था कि वो एक ऑपरेशन के लिए जा रहा है. वहां से आने के बाद कॉल या मैसेज करेगा. लेकिन हमें बुधवार को कमांड सेंटर से उसकी शहादत के बारे में पता चला. मैंने भी करीब 4 या 5 दिन पहले बात की थी, लेकिन उसने आखिरी संदेश अदिति को भेजा था.