SOG Operation Jammu-Kashmir: आजादी की 75वीं वर्षगांठ को लेकर पूरे भारतवासियों में जबरदस्त उत्साह है. लेकिन पड़ोसी पाकिस्तान (Pakistan) को भारत (India) की खुशहाली और तरक्की नहीं सुहाती है इसलिए वो इस गौर्व करने के मौके पर भी भारत में आतंकी हमले कराना चाहता है. इस बीच भारतीय सेना और सुरक्षाबलों के अलावा अब एसओजी के जवान भी आतंकवादियों का जड़ से सफाया करने में जुटे हैं.


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यूं होता है आतंकवाद का खात्मा


जम्मू कश्मीर एसओजी इंटेलिजेंस को इनपुट मिलते ही संदिग्धों की लोकेशन ट्रेस की जाती है. फिर कमांडोज़ को ब्रीफ़ कर दिया जाता है और इस तरह मानवता के दुश्मनों को ठिकाने लगाने का ऑपरेशन शुरू हो जाता है. साफ है कि जम्मू कश्मीर पुलिस (J&K Police) की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की ये टीम इंटेलिजेंस, प्लानिंग, एक्शन और ऑपरेशन के मंत्र पर चलते हुए दहशतगर्दों को खत्म कर देती है.


चीते जैसे फुर्तीले हैं SOG के जवान


जम्मू कश्मीर पुलिस (Jammu Kashmir Police) की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के जवान जब मिशन पर निकलते हैं. तो चंद सेकेंड के भीतर उनके पैंथर व्हीकल्स से लेकर आर्मर्ड व्हीकल कश्मीर की सड़कों पर तेजी से बढ़ने लगते हैं. इस तरह चंद मिनटों में जांबाजों की टुकड़ी मौके पर पहुंच जाती है. इसकी टीम में अगर कश्मीरी जवान हैं तो कश्मीर की लेडी ऑफिसर भी हैं जो देखते ही देखते पूरे इलाक़े को घेर लेते हैं. फिर जवानों की पोजिशनिंग की जाती है. जिसके बाद लोकेशन में मौजूद एक-एक दरवाजे पर सर्चिंग शुरू होती है.


भटके हुए नौजवानों की किस्मत अच्छी तो वो बच जाते हैं. वरना आतंकवादी तो वहीं का वहीं जमींदोज हो जाता है. आतंकरोधी ऑपरेशंस को लीड करने वाले एसओजी के एसपी ऑपरेशंस बताते हैं कि कश्मीर में टेरर के खात्मे का ये चैलेंज बहुत चुनौती भरा है. जम्मू कश्मीर में आतंक से लड़ाई में एसओजी बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी निभा रही है.


ब्लू प्रिंट के बाद ऑपरेशन


खुफिया सूचना मिलते ही कार्रवाई चालू हो जाती है. ऑपरेशन का पूरा ब्लू प्रिंट पहले ही तैयार कर लिया जाता है. इसके बाद SOG का ग्राउंड ऑपरेशन शुरू होता है. जिसमें एसओजी के हथियार और सर्विलांस इक्विपमेंट्स आतंकियों के ख़ात्मे में बड़ी मदद करते हैं. उन्हीं में से एक है एसओजी का पैंथर कंट्रोल रूम. 


ऑपरेशन में टेक्नीक की बड़ी भूमिका


SOG के एक्शन वाली जगह से एक किलोमीटर दूर रहकर भी इस पैंथर व्हीकल में लगे 360 डिग्री मूविंग कैमरे चारों ओर नज़र रखते हैं. इनके व्हीकल में लगे हाईमास्ट सर्विलांस कैमरे साठ फीट की ऊंचाई तक ऊपर जाकर ऑपरेशन वाली जगह की एक-एक जानकारी कंट्रोल रूम तक भेजते हैं.


टीम के जज्बे को सलाम


इसके अलावा एसओजी को ऑपरेशन में जरूरत के हिसाब सर्विलांस ड्रोन की दरकार होती है. वेपन्स की बात की जाए तो AK47 गन, लेज़र फिटेड ऑटोमैटिक वेपन, अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर वेपन, मल्टी ग्रेनेड लॉन्चर सिस्टम से लेकर रॉकेट लॉन्चर तक का इस्तेमाल करना पड़ता है.


आधुनिक हथियारों और तकनीक के अलावा आतंक से लड़ाई में हौसले और जज्बे की बड़ी जरूरत होती है. ये वो जवान हैं जो देश की खातिर, कश्मीर की खातिर और कश्मीरियों की खातिर आतंक से लड़ते लड़ते अपनी जान न्योछावर करने में जरा भी देर नहीं लगाते हैं. 


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