जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, सक्रिय लोकल आतंकियों पर बड़ा खुलासा
Jammu Kashmir News: घाटी में आतंकी गतिविधियों पर और लगाम लगाने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाबलों ने शिकंजा कसने का काम अब काफी तेज कर दिया है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, आतंकी संगठनों में स्थानीय भर्ती सबसे कम यानी अपने निचले स्तर पर है.
Terror free Jammu Kashmir: भारतीय सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के इको सिस्टम की कमर तोड़ दी है. उनके रास्ते बंद करके, आतंकी मॉड्यूल की जड़ों में मठ्ठा डालकर सेना और सुरक्षाबलों ने राज्य के आतंकवाद पर लगाम कस दी है. इस सिलसिले में एक महीने के भीतर ही आतंकी समर्थकों और ड्रग डीलरों की 7 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली गई. इस तरह का महौल बनाकर आतंकवाद के खात्मे का काम हो रहा है. इस तरह से अब न तो कश्मीरी युवा आतंक का रास्ता अपनाते हैं और ना ही आतंकवादियों को पनाह और पैसा मिल पाता है.
स्लीपर सेल के बंद हो गए रास्ते
जम्मू-कश्मीर में आतंकी तंत्र को कुचलने के लिए सुरक्षाबल बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर रहे हैं और घाटी में आतंकवाद विरोधी और नार्को आतंकवाद अभियान अचानक से तेज कर दिए गए हैं.
पिछले 40 दिनों में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 7 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की है और 800 कनाल से अधिक भूमि पर अफीम की खेती को नष्ट किया है.
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केवल 16-17 स्थानीय आतंकवादी सक्रिय
घाटी में आतंकवाद विरोधी और नार्को आतंकवाद विरोधी अभियानों ने क्षेत्र में सक्रिय आतंकवाद पर अंकुश लगाने में काफ़ी मदद की है. इन अभियानों ने सुरक्षाबलों को जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी नेटवर्क की कमर तोड़ दी है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, आतंकी रैंक में केवल 16-17 स्थानीय आतंकवादी सक्रिय हैं, जो पिछले चार दशकों में सबसे कम है. कश्मीर क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने पिछले डेढ़ महीने में आतंकी नेटवर्क पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है और 7 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की गई है. जब्त की गई संपत्तियां सक्रिय आतंकवादियों के साथ-साथ उनके समर्थकों और ड्रग तस्करों की हैं.
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हालांकि, ये अभियान बीते दो सालों से जारी हैं और जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार लेकिन अब इसमें बेहद तेज़ी आई है. पिछले 2 साल की बात करे तो 40 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की गई है और क्षेत्र में लगभग 2000 FIR दर्ज की गई हैं.
वी के भ्रदी, आईजीपी कश्मीर जोन के मुताबिक, 'हाल के दिनों में पैदा हुई नारकोटिक्स की समस्या पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ध्यान केंद्रित किया है. हमने बहुआयामी रणनीति अपनाई है. हम कानूनी पहलू से स्थिति को संभालना चाहते थे, कई जिले हैं. जहां पुलिस हॉट स्पॉट की पहचान करती है. फिर उस पर कार्रवाई करने की कोशिश करती है. खासकर उन इलाकों में जहां तस्करी हो रही है. जम्मू-कश्मीर पुलिस लगातार इस पर काम कर रही है. पिछले दो सालों में करीब 2000 एफआईआर दर्ज की गई हैं और इन मामलों में करीब 300 लोगों को गिरफ्तार किया गया है'.
कैसे हो रहा काम
एनडीपीएस एक्ट का इस्तेमाल भी तस्करों को दूर रखने के लिए किया जाता है. नार्को टेरर और आतंकवाद दोनों को पाकिस्तान में सीमा पार से हैंडलर द्वारा जम्मू कश्मीर में धकेला जा रहा है. नार्को टेरर का इस्तेमाल घाटी में सक्रिय आतंकी संगठनों के लिए धन जुटाने के लिए किया जाता है. पाकिस्तान नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास ड्रग गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है और उन ड्रग्स को बेचकर जो पैसा कमाया जाता है, उसे आतंकी संगठनों को मज़बूत करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
घाटी में आतंकी गतिविधियों पर और लगाम लगाने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाबलों ने शिकंजा कसना अब तेज कर दिया है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, आतंकी संगठनों में स्थानीय भर्ती सबसे कम है.
पुलिस का बयान
कश्मीर जोन के आईजीपी वी के भ्रदी ने कहा, 'पुलिस कानून का इस्तेमाल कर आतंकवाद पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है और इसका जमीनी स्तर पर असर भी दिख रहा है. इसका एक कारण यह भी है कि जो लोग गलत दिशा में जा रहे थे और राष्ट्र विरोधी गतिविधियां कर रहे थे, उन्होंने ऐसा करना बंद कर दिया है. नार्को टेरर के मामलों में हम सख्त कार्रवाई कर रहे हैं, ताकि लोग ऐसी गतिविधियों में शामिल होने से डरें. जमीनी स्तर पर इसका काफी असर हुआ है.'
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने के लिए सुरक्षाबलों को आतंकी इको सिस्टम का खात्मा करना होगा. जिसमें नार्को टेरर में शामिल लोगों सहित आतंकियों के हमदर्दों यानी स्लीपर सेल का पूरा नेटवर्क खत्म करना शामिल हैं.
सेना के ताजा ऑपरेशनों के बाद घाटी के लोगों ने आतंकियों और उनके समर्थकों को पनाह देना बंद कर दिया है. उन्हें आतंकियों को पनाह देने और उनकी मदद करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का डर सताने लगा है. इससे सुरक्षाबलों को कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने में मदद मिली है.
हाल के दिनों में अतंवाद के ख़िलाफ़ सुरक्षाबलों द्वारा अपनाई गई रणनीति बेहद सफल होती दिख रही है. इससे न केवल स्थानीय युवाओं के आतंकवादी संगठनों में शामिल होने की रफ्तार लगभग शून्य हो गई है. लोग भी क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादियों के बहकावे में नहीं आ रहे हैं.
हालांकि ऐसा नहीं है कि आतंकवाद जड़ से खत्म हो गया है, लेकिन वो दिन दूर नहीं जब भारत की सेना, सुरक्षाबलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस की साझा कोशिशें रंग लाएंगी और ऐसा होगा. तब बाकायदा लाल किले से जम्मू-कश्मीर के टेरर फ्री स्टेट होने का ऐलान होगा.