कोलकाता: पाकिस्तान में घुसकर आतंकी अड्डों पर भारतीय वायु सेना की बमबारी पर सवाल करने के लिए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को विपक्षी पार्टियों की आलोचना की और कहा कि अभियान के विवरण को साझा नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे पड़ोसी देश को मदद मिलेगी. जावड़ेकर ने कहा कि बालाकोट अभियान पर सबूत मांगना सशस्त्र बलों में विश्वास की कमी के बराबर है. उन्होंने कहा, ‘‘ समूचे देश को हमारे सशस्त्र बलों. वायु सेना पर गर्व है. जब उन्होंने पाकिस्तान में अंदर जाकर हवाई हमले किए तब इस पर शक करना और सबूत मांगना असल में पाकिस्तान की मदद करना है. 


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सबूत मांगने का मतलब हमारी सेना और वायु सेना में विश्वास नहीं होना है.’’ विपक्षी पार्टियां, खासतौर पर कांग्रेस नेता, 26 फरवरी को भारतीय वायु सेना द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण ठिकानों पर एहतियाती आत्मरक्षा में किए गए हवाई हमलों के सबूत मांग रहे हैं.  इसकी पृष्ठभूमि में जावड़ेकर की यह टिप्पणी आई है.


जावड़ेकर पश्चिम बंगाल के बर्दवान में भाजपा के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की एक बैठक में हिस्सा लेने आए हुए हैं. सरकार से हवाई हमलों के सबूत जारी करने की कुछ विपक्षी नेताओं की मांग के सवाल पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, ‘‘ अभियान का विवरण कभी भी साझा नहीं किया जाता है क्योंकि यह सीधे पाकिस्तान की मदद करेगा.’’


उन्होंने कहा, ‘‘एक न्यूनतम शिष्टाचार होता है और इसका (हवाई हमले का) उस तरह से राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए जैसा विपक्षी पार्टियां कर रही हैं. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ समूचा देश हमारे सशस्त्र बलों और वायु सेना के साथ एकजुटता से खड़ा है. यह पूरी तरह से अनुचित है कि आप विवरण मांगे.  कौन विमान? उन्होंने कैसे किया? कौन से बम इस्तेमाल किए गए थे? आप अभियान का विवरण मांग रहे हैं जो अनुचित है और कोई भी देश ऐसा नहीं करता है.’’


दिग्विजय सिंह और कपिल सिब्बल समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने भारतीय वायु सेना के हमले का सबूत मांगा है.  ऐसा माना जाता है कि इस हमले में पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े अड्डे को नेस्तनाबूद कर दिया. भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले हवाई हमले का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश के आरोप को खारिज करते हुए जावेड़कर ने कहा कि पार्टी ने राजनीतिक उद्देश्यों को साधने के लिए कभी भी जवानों की वीरता का इस्तेमाल नहीं किया. 


भाजपा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा राजनीति से ऊपर है. उन्होंने कहा, ‘‘ तथ्य यह है कि 26/11 के बाद सेना कार्रवाई करना चाहती थी लेकिन (तत्कालीन संप्रग सरकार ने) इजाजत नहीं दी. मौजूदा सरकार ने (हमले की) अनुमति दी.