नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में लगे कुछ नए पोस्टरों में दावा किया गया है कि ‘होली एक महिला विरोधी त्योहार है क्योंकि ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो इस त्योहार के नाम पर हमेशा दलित महिलाओं का यौन शोषण होता रहा है।’ संसद हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी की सजा दिए जाने का एक साल पूरा होने के अवसर पर पिछले महीने आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर विवादों में रह चुका यह विश्वविद्यालय अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर छिड़ी बहस का केंद्र बन गया है।


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विश्वविद्यालय परिसर में खाने पीने की जगहों, बाजारों और विभिन्न स्कूलों की इमारतों की दीवारों पर लगे ‘व्हाट इज होली अबाउट होली ’शीर्षक वाले इस नए पोस्टर को भी सोशल मीडिया पर काफी जगह मिली है।


पोस्टर में सवाल उठाया गया है कि ‘ब्राह्मणवादी, पितृसत्तात्मक भारत में असुर बहुजन महिला होलिका का दहन कर होली क्यों मनाई जाती है। होली में पवित्रता जैसी क्या बात है। इतिहास को देखें तो इस उत्सव के नाम पर दलित महिलाओं का यौन शोषण किया जाता रहा है।’ इस पोस्टर में आगे कहा गया है ‘होली का त्योहार महिला मात्र के खिलाफ है।’ 


इस पोस्टर के नीचे फ्लेम्स आफ रेसिस्टेंस (एफओआर) नाम के संगठन का नाम दर्ज है।


जेएनयूएसयू की एक पदाधिकारी ने कहा कि उसने ऐसे किसी संगठन का नाम नहीं सुना है। उसने कहा कि ऐसा लगता है कि यह कोई बिल्कुल नया संगठन है।