JNU Caste Census Latest Updates: दिल्ली का जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, अपने यहां के विवादित बयानों से चर्चा में रहता है. अबकी बार वो एक भूख हड़ताल के मुद्दे की वजह से चर्चा में आया है. देश का विपक्ष, जिस मुद्दे को लेकर सरकार को हर वक्त घेरने में लगा रहता है, वो मुद्दा जेएनयू में उछला और विश्वविद्यालय प्रशासन इसे मान भी गया. अब जेएनयू जैसे संस्थान में छात्रों से उनकी जाति पूछी जाएगी. अब जल्दी ही जेएनयू में जातिगत जनगणना होगी.


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अब जेएनयू पूछेगा स्टूडेंट्स की जाति


पिछले 16 दिनों से जेएनयू में जातिगत जनगणना कराने समेत कई मुद्दों को लेकर भूख हड़ताल चल रही थी. विडंबना देखिए कि जिस देश में ऊंची जाति नीची जाति जैसे मुद्दों को घृणा की नजर देखा जाता है. बाकायदा इसको लेकर सज़ा का प्रावधान तक किया गया है. उसी देश में अब लोगों की जाति पूछने का क्रेज बढ़ गया है. जेएनयू इस काम में आगे निकल गया है.


अजीब तर्क दे रहे छात्र संगठन


हड़ताल करने वाले छात्र, फुल कॉन्फिडेंस में ये कह रहे हैं कि जेएनयू में छात्रों की जातियां पता करना मुश्किल काम नहीं है. छात्रों का मानना है कि जातियां पता होंगी तो पॉलिसी बनाना आसान हो जाएगा. जातिगत जनगणना को देश को बांटने वाला विचार माना जाता है. जिस देश में जाति और धर्म भुलाकर, एकता का संदेश दिया जाता हो, वहां जातिगत जनगणना करवाना मुख्य मुद्दा बन गया है.


देश में दूसरे नंबर पर आने वाला दिल्ली का जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय. अगले कुछ दिनों में जाति की राजनीति में बंटने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि जल्द ही JNU में जाति जनगणना शुरू होगी. मतलब जेएनयू के किस जाति के कितने छात्र पढ़ते हैं और किस छात्र संगठन को किस जाति के हिसाब से राजनीति करनी है, ये जल्द ही JNU कैंपस में दिखेगा. 


हड़ताली छात्रों ने मनवा ली अपनी मांगें


पिछले 16 दिनों से जेएनयू छात्र संघ के नेता भूख हड़ताल पर बैठे थे. उनकी कई मांगों से एक मांग कैंपस में जाति जनगणना कराने की भी थी. विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र संगठनों की ज़िद के आगे झुक गया और जाति जनगणना के अलावा 5 और मांगों को मान लिया. 


इनमें एडमिशन के लिए JNU अपनी प्रवेश परीक्षा करवाने पर सहमत हो गया है. छात्रों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि बढ़ाई जाएगी. कैंपस में जाति जनगणना होगी और उसकी लिस्ट जारी होगी. एडमिशन के लिए वाइवा के वेटेज को घटाया जाएगा. JNU के PSR गेट को फिर से खोला जाएगा.


मीडिया के सामने बोलने से बच रहा जेएनयू प्रशासन


जेएनयू के छात्र नेताओं को छात्रों की जाति जानने में दिलचस्पी है. उन्हें लगता है कि वो जाति के आधार पर ही छात्रों के लिए पॉलिसी बना पाएंगे. NSUI के छात्र नेता को लगता है कि देश के सभी यूनिवर्सिटी में जाति जनगणना होनी चाहिए. हालांकि जेएनयू प्रशासन कैंपस जाति जनगणना कराए जाने के वादे पर मीडिया के सामने कुछ भी बोलने से बच रहा है. 


JNU एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है. अभी केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने को लेकर कोई फैसला नहीं किया है..बावजूद इसके लिए JNU प्रशासन ने कैंपस में छात्रों की जाति जानने और उसे सार्वजनिक करने का फैसला किया है. JNU प्रशासन का ये कदम राह आसान करने की बजाए उसकी मुश्किलों को और बढ़ा सकता है. 


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