नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) की हिरासत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई टल गई है. दरअसल, याचिका पर सुनवाई से जस्टिस शान्तना गौदर (Justice Shantana Goudar) ने खुद को अलग कर लिया है. अब इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी. दरअसल, अब्दुल्ला की बहन सारा ने PSA के तहत हिरासत को चुनौती दी है. उमर अब्दुल्ला 5 अगस्त, 2019 से सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में थे. 


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सारा ने अपनी याचिका में कहा है कि अब्दुल्ला को हिरासत में रखना स्पष्ट रूप से गैरकानूनी है और उनसे कानून व्यवस्था को किसी खतरे का कोई सवाल ही नहीं है. याचिका में अब्दुल्ला को पीएसए के तहत हिरासत में रखने के पांच फरवरी के आदेश को रद्द करने के साथ उन्हें अदालत के समक्ष पेश कराने का अनुरोध किया गया है. सारा ने कहा कि प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि संविधान के अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के खिलाफ विरोध को दबाया जा सके, गलत तरीके से दंड प्रक्रिया संहिता का इस्तेमाल कर राजनीतिक नेताओं और लोगों को हिरासत में रखा है. उमर की बहन ने अपनी याचिका में कहा कि अब्दुल्ला को हिरासत में लेना संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 22 का उल्लंघन है.


आपको बता दें कि इस कानून के तहत, उमर अब्दुल्ला की छह महीने की एहतियातन हिरासत अवधि गुरुवार यानी 5 फरवरी 2020 को खत्म होने वाली थी. गौरतलब है कि उमर अब्दुल्ला 5 अगस्त, 2019 से सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में थे. वहीं उमर अब्दुल्ला को एक बार फिर से PSA के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है. बता दें कि PSA के तहत उमर अब्दुल्ला के अलावा जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भी गिरफ्तार किया गया है. 


PSA के तहत बिना ट्रायल के ही उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को तीन माह तक जेल में रखा सकता जा सकता है. इसके अलावा उमर अब्दुल्ला के पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस चीफ फारुख अब्दुल्ला पहले से ही पीएसए के तहत बंद हैं.


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