`कैलाश` नहीं जा पाए तो क्या हुआ,उत्तराखंड के इस हिस्से से करें दर्शन; पीएम मोदी देने वाले हैं सौगात
Kailash Darshan: कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दो रास्ते हैं. एक रास्ता चीन की तरफ से तो दूसरा रास्ता उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की तरफ से. चीन से तनातनी के बाद सिर्फ उत्तराखंड वाला विकल्प श्रद्धालुओं के पास होता है. इन सबके बीच अगर आप कैलाश दर्शन नहीं कर पा रहे हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. उत्तराखंड में एक व्यू प्वाइंट की खोज की गई है जिसका शुभारंभ पीएम नरेंद्र मोदी करने वाले हैं.
Kailash Mansarovar: भगवान भोलेनाथ के धाम कैलाश धाम के दर्शन की चाहत हर किसी के मन में रहती है हालांकि उसके लिए कई तरह की प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है. कैलाश धाम जाने का एक रास्ता चीन की तरफ से है लेकिन चीन का रुख श्रद्धालुओं के लिए परेशानी खड़ा करता है लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार श्रद्धालुओं को सौगात देने वाली है. अगर आप किसी वजह से कैलाश धाम नहीं जा पा रहे हों तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. अब आप भारतीय इलाके से ही दर्शन कर सकेंगे. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ (pithoragarh view point)में एक ऐसी जगह की खोज की गई है जहां से आप बिना किसी बाधा कैलाश दर्शन कर पाएंगे.
अगले महीने सौगात की उम्मीद
बताया जा रहा है कि अगले महीने 11 से 12 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी(narendra modi uttrakhand visit) उस व्यू प्वाइंट की सौगात श्रद्धालुओं को देंगे. वहीं से वो खुद कैलाश पर्वत(kailash dham darshan) के दर्शन करेंगे. इसके अलावा साफ मौसम की स्थिति में ऊं पर्वत का भी दर्शन हो सकेगा. कैलाश मानसरोवर जाने के लिए एक रास्ता पिथौरागढ़ से होकर जाता है. हालांकि इस रास्ते में प्राकृतिक अवरोध अधिक है. इसके अलावा डोकलाम के रास्ते में श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर जाते थे लेकिन चीनी रुख की वजह से वो रास्ता बंद है.
कैलाश मानसरोवर यात्रा
कैलाश मानसरोवर की यात्रा में उत्तराखंड, दिल्ली और सिक्किम सरकार का विशेष सहयोग होता है, इसमे आईटीबीपी (ITBP)के जवाब बड़ी भूमिका निभाते हैं. कुमाऊं मंडल विकास निगम और सिक्किम पर्यटन विकास निगक श्रद्धालुओं को सभी सुविधाएं मुहैया कराते हैं. सिक्किम में नाथुला और उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से यात्रा शुरू की जाती है हालांकि सिक्किम वाला रास्ता बंद है. वापसी भी यात्री नाथुला(Nathu la route) और लिपुलेख (lipu lekh route) के जरिए ही करते हैं.अगर आप लिपुलेख रूट से यात्रा करते हैं तो खर्च करीब डेढ़ लाख और कुल 25 दिन लगते हैं. इसी तरह नाथु ला से एक लाख 70 हजार का खर्च आता है.