Kanchanjunga Express Accident Reasons: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हुए ट्रेन हादसे के बाद इस रूट पर आवाजाही सामान्य करने की कोशिशें जारी हैं. कंचनजंगा एक्सप्रेस से मालगाड़ी के टकराने के बाद 9 लोगों की मौत हो गई और करीब 41 यात्री घायल हैं.  लेकिन, अब सवाल ये है कि आखिर कैसे ट्रैक पर दो ट्रेन टकरा गई. इसके लिए कौन जिम्मेदार है और किसकी गलती से हादसा हुआ है. अब यह बात सामने आ रही है कि रानीपतरा रेलवे स्टेशन और चत्तर हाट जंक्शन के बीच सिग्नल सुबह 5.50 बजे से खराब था और लोको पायलट को सभी रेड सिग्नल पार करने के लिए टीए 912 नामक एक लिखित नोट (फॉर्म) दिया गया था. लेकिन, रेलवे का टीए 912 लिखित नोट (फॉर्म) क्या है, जिसकी गफलत की वजह से इतनी बड़ी दुर्घटना हो गई.


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सबसे पहले जान लीजिए कैसे हुआ हादसा? 


रेलवे बोर्ड ने बताया है कि पश्चिम बंगाल में कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना में प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि मालगाड़ी ने उस खंड पर खराब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली के कारण गति प्रतिबंधों का उल्लंघन किया. अधिक गति के कारण मालगाड़ी यात्री ट्रेन से टकरा गई. राज्य के दार्जिलिंग जिले में रानीपतरा रेलवे स्टेशन (RNI) और चत्तर हाट जंक्शन (CAT) रूट पर हुई दुर्घटना में सात यात्रियों और दो रेलवे कर्मचारियों की मौत हो गई और 41 लोग घायल हो गए.


बोर्ड ने कहा कि हालांकि मालगाड़ी के चालक को आरएनआई (RNI) और सीएटी (CAT) के बीच सभी लाल सिग्नल को पार करने की अनुमति दी गई थी, क्योंकि स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली खराब थी, फिर भी ट्रेन की गति इस तरह की स्थिति के लिए निर्धारित स्वीकार्य सीमा से अधिक थी. बोर्ड ने कहा कि मालगाड़ी का चालक 'अधिक गति' से मालगाड़ी चला रहा था. इस कारण यह आरएनआई और सीएटी के बीच कंचनजंघा एक्सप्रेस से टकरा गई.


सुबह 5.50 बजे से खराब थी स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली


आरएनआई और सीएटी रूटके बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली सोमवार सुबह 5.50 बजे से खराब थी. रेलवे बोर्ड ने उन खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दुर्घटना में मारे गए चालक को रानीपतरा के स्टेशन मास्टर द्वारा टीए 912 नामक एक लिखित अनुमति दी गई थी, जिसमें उसे सभी लाल सिग्नल पार करने का अधिकार दिया गया था. बोर्ड ने कहा कि कंचनजंघा एक्सप्रेस के चालक ने स्वचालित सिग्नल प्रणाली में खराबी के दौरान अपनाए जाने वाले मानदंडों का पालन किया, सभी लाल सिग्नल पर एक मिनट तक रुका और 10 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ा. लेकिन, मालगाड़ी के चालक ने मानदंडों की 'अनदेखी' की जिससे यात्री ट्रेन को पीछे से टक्कर मार दी.


क्या है रेलवे का टीए 912 लिखित नोट?


रेलवे के एक अन्य अधिकारी के अनुसार, जब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली खराब होती है या ठीक से काम नहीं करती है, तो स्टेशन मास्टर टीए 912 नामक एक लिखित अधिकार पत्र (नोट यानी फॉर्म) जारी करता है. यह नोट (फॉर्म) ट्रेन के लोको पायलट को गड़बड़ी के कारण सेक्शन में सभी रेड सिग्नल को पार करने के लिए अधिकृत करता है. सूत्रों के अनुसार, सियालदह-कंचनजंघा एक्सप्रेस सुबह 8:27 बजे रंगापानी स्टेशन से रवाना हुई और आरएनआई-सीएटी के बीच रुकी रही. हालांकि, ट्रेन के रुकने का कारण पता नहीं चल पाया है.


क्या मालगाड़ी के लोको-पायलट ने की नियमों की अनदेखी?


सूत्र ने बताया कि रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने सियालदह-कंचनजंघा एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 13174) को टीए 912 नोट (फॉर्म) जारी किया था. हालांकि, अब तक यह बात सामने नहीं आई है कि टीए 912' दिया गया था या नहीं. यह जांच से ही पता चल सकेगा कि मालगाड़ी को खराब सिग्नल को तेज गति से पार करने के लिए 'टीए 912' दिया गया था या फिर लोको पायलट ने खराब सिग्नल के नियम का उल्लंघन किया. हालांकि, अगर मालगाड़ी को ‘टीए 912’ नहीं दिया गया था तो लोको-पायलट को सभी खराब सिग्नल पर ट्रेन को एक मिनट के लिए रोकना था और 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना था.


हालांकि, लोको पायलट संगठन ने रेलवे के इस बयान पर सवाल उठाया है कि चालक ने रेल सिग्नल का उल्लंघन किया. भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (IRLRO) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा, 'रेलवे बोर्ड का यह कहना गलत है कि चालक को रेड सिग्नल पर एक मिनट के लिए ट्रेन रोकनी चाहिए और टीए 912 मिलने के बाद सीमित गति से आगे बढ़ना चाहिए. लोको पायलट की मौत हो जाने और सीआरएस जांच लंबित होने के बावजूद लोको पायलट को ही जिम्मेदार घोषित करना अत्यंत आपत्तिजनक है.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)