Kangana Ranaut News: बीजेपी सांसद कंगना रनौत को महीने भर में दूसरी बार फजीहत झेलनी पड़ी है. कृषि कानूनों से जुड़े उनके बयान से बीजेपी ने किनारा कर लिया है. खुद कंगना ने भी कहा कि यह उनकी निजी राय है और पार्टी का इससे लेना-देना नहीं. पार्टी से फिर फटकार लगने के बाद कंगना ने एक वीडियो संदेश जारी किया है. कंगना कह रही हैं कि उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि वे सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी की कार्यकर्ता भी हैं. बीजेपी सांसद ने कहा कि 'हम सब कार्यकर्ताओं का कर्तव्य बनता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात का सम्मान रखें.'


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कंगना ने कहा कि मेरे बयान अपने नहीं होने चाहिए, वह पार्टी का स्टैंड होना चाहिए. उन्होंने वीडियो में कहा, 'अगर किसी को मेरे बयानों से ठेस पहुंची है तो मैं खेद जाहिर करती हूं. आई टेक माय वर्ड्स बैक!' कंगना रनौत ने साफ किया किया कि उनके विचार निजी थे और वह पार्टी के रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं.


कंगना रनौत ने मांगी माफी, वापस लिया बयान


कंगना रनौत ने वीडियो संदेश में कहा, 'पिछले कुछ दिनों में मीडिया ने मुझसे किसान कानून पर कुछ सवाल पूछे और मैंने सुझाव दिया कि किसानों को प्रधानमंत्री मोदी से किसान कानून वापस लाने का अनुरोध करना चाहिए. मेरे इस बयान से कई लोग निराश और हताश हैं. जब किसान कानून प्रस्तावित किया गया था, तो हममें से कई लोगों ने इसका समर्थन किया था लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने बड़ी संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ इसे वापस ले लिया और हम सभी कार्यकर्ताओं का यह कर्तव्य है कि हम उनके शब्दों की गरिमा का सम्मान करें. मुझे भी यह ध्यान रखना होगा कि मैं अब कलाकार नहीं हूं, मैं भारतीय जनता पार्टी की कार्यकर्ता हूं और मेरी राय मेरी अपनी राय न होकर पार्टी का रुख होनी चाहिए. इसलिए अगर मेरी बातों और मेरी सोच से किसी को निराशा हुई है तो मुझे खेद रहेगा और मैं अपने शब्द वापस लेती हूं.'



हंगामे के बाद पार्टी लाइन पर वापस लौटीं कंगना


कंगना ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था, 'मुझे पता है कि यह बयान विवादास्पद हो सकता है, लेकिन तीनों कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए. किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए.' उन्होंने कहा था कि तीनों कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे, लेकिन कुछ राज्यों में किसान समूहों के विरोध के मद्देनजर केंद्र ने इन्हें निरस्त कर दिया. किसान देश के विकास में ताकत का स्तंभ हैं. मैं उनसे अपील करना चाहती हूं कि वे अपने भले के लिए कानूनों की वापसी की मांग करें.


कांग्रेस ने कंगना की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा था कि सत्तारूढ़ पार्टी 2021 में निरस्त किए गए तीन कानूनों को वापस लाने की कोशिश कर रही है, हरियाणा इसका करारा जवाब देगा. इस बयान के चलते कंगना को अपनी पार्टी से भी आलोचना का सामना करना पड़ा. बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि कंगना की ओर से कृषि कानूनों पर दिया गया बयान उनका व्यक्तिगत विचार है. वह भाजपा की ओर से ऐसा बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं.


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गौरव भाटिया के X पोस्ट को कोट करते हुए कंगना रनौत ने लिखा था, 'बिल्कुल, कृषि कानूनों पर मेरे विचार व्यक्तिगत हैं. वह उन बिलों पर पार्टी के रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं. धन्यवाद.' फिर उन्होंने एक वीडियो संदेश जाहिर कर बयान पर खेद जताया.


पिछले महीने ही कंगना को बीजेपी ने किसान आंदोलन से जुड़ी टिप्पणी पर चेतावनी दी थी. तब कंगना ने कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से भारत में 'बांग्लादेश जैसी स्थिति' पैदा हो सकती है.


'बीजेपी की रग-रग में बसी है किसान विरोधी नफरती मानसिकता'


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कंगना की टिप्प्णी को लेकर आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी की रग-रग में किसान विरोधी नफरती मानसिकता बसी हुई है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के खिलाफ है.


खरगे ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, '750 किसानों की शहादत के बाद भी किसान विरोधी भाजपा और मोदी सरकार को अपने घोर अपराध का अहसास नहीं हुआ. किसान-विरोधी तीन काले कानूनों को फिर से लागू करने की बात की जा रही है. कांग्रेस पार्टी इसका कड़ा विरोध करती है.' उन्होंने कहा कि किसानों को गाड़ी के नीचे कुचलवाने वाली मोदी सरकार ने हमारे अन्नदाता के लिए कंटीले तार, ड्रोन से आंसू गैस, कीलें और बंदूकें... सबका इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि ये सब कुछ भारत के 62 करोड़ किसान कभी भूल नहीं पाएंगे. 


किसानों के विरोध के बाद तीन कृषि कानून – कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम; कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम; तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम – को नवंबर 2021 में निरस्त कर दिया गया था. किसानों का विरोध नवंबर 2020 के अंत में शुरू हुआ था और संसद द्वारा तीनों कानूनों को निरस्त करने के बाद समाप्त हुआ. ये कानून जून 2020 में लागू हुए थे और नवंबर 2021 में निरस्त कर दिए गए. (भाषा इनपुट्स)