नई दिल्ली: कानपुर एनकाउंटर के मुख्य आरोपी विकास दुबे (Vikas Dubey) को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया है. कुख्यात अपराधी विकास दुबे से मध्य प्रदेश पुलिस पूछताछ कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, विकास दुबे ने पुलिस को बताया कि उसे डर था कि पुलिस उसका एनकाउंटर करने आ रही है. इस वजह से उसने फायरिंग की. उसने यह भी कबूला है कि पुलिस के लोग उसके संपर्क में थे और उन्होंने ही रेड की जानकारी दी थी.


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सूत्रों के मुताबिक, विकास को पुलिस के छापेमारी की खबर पहले से होने के कारण उसने अपने दोस्तों को बुला लिया था. उसने अपने साथियों को खतरा होने की बात कहकर हथियार साथ में लाने की बात कही थी. विकास ने पुलिस को बताया कि आमतौर पर उसके साथी वैसे भी हथियार लेकर ही आसपास जाते थे. लेकिन घटना के एक दिन पहले ही उसने लोगों को बोल दिया था कि हथियार लेकर ही आएं. विकास दुबे ने पुलिस के लूटे हुए हथियारों के बारे में भी जानकारी दी है और कहा कि वह उस जगह को दिखा सकता है. 


सबूत मिटाने की प्लानिंग
सूत्रों की मानें तो विकास ने बताया कि घटना के बाद घर के ठीक बगल में कुंए के पास पांच पुलिसवालों की लाशों को एक के ऊपर एक रखा गया था, जिससे उनमें आग लगा कर सबूत नष्ट कर दिए जाएं. आग लगाने के लिये घर में गैलनों में तेल रखा गया था. एक पचास लीटर के गैलन में तेल से जलाने का इरादा था. लेकिन लाशें इकट्टठा करने के बाद उसे मौका नहीं मिला और वो फरार हो गया.


विकास ने पुलिस को बताया कि उसने अपने सभी साथियों को अलग-अलग भागने के लिये कहा था. गांव से निकलते वक्त ज्यादातर साथियों को जिधर समझ में आया, वह उधर भाग गए. विकास ने बताया हम लोगों को सूचना थी कि पुलिस भोर में  आएगी लेकिन पुलिस रात में ही रेड करने आ गई. विकास ने बताया कि उसने खाना भी नहीं खाया था. जबकि सबके लिए खाना बन चुका था. 


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जेसीबी की बात
घटना के अगले दिन मारा गया विकास का मामा जेसीबी मशीन का इंचार्ज था लेकिन वो जेसीबी नहीं चला रहा था. रात में राजू नाम के एक साथी ने जेसीबी मशीन को बीच सड़क में पार्क किया था. आपको बता दें कि विकास के मामा को अगले दिन पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया था.


विकास दुबे ने कहा कि चौबेपुर थाना ही नहीं बाकी के थानों में भी उसके मददगार थे, जो तमाम मामलों में उसकी मदद करते थे. विकास ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान चौबेपुर थाने के तमाम पुलिसवालों का मैंने बहुत ख्याल रखा.


सीओ देवेंद्र मिश्र से थी अनबन
विकास ने पुलिस को बताया कि देवेंद्र मिश्र से मेरी नहीं बनती थी. कई बार वो मुझे देख लेने की धमकी दे चुके थे. हमारी कई बार बहस भी हुई थी. इंस्‍पेक्‍टर विनय तिवारी ने भी बताया था कि सीओ तुम्हारे खिलाफ है, लिहाजा मुझे सीओ पर गुस्सा था. विकास ने पुलिस को बताया कि सीओ को सामने के मकान में मारा गया था. उसने कहा कि सीओ को उसने नहीं मारा था. उसने बताया कि सीओ के पांव पर भी उसके साथियों ने वार किया था. क्योंकि मुझे पता चला था कि सीओ बोलते थे कि विकास का एक पैर गड़बड़ है, दूसरा भी सही कर दूंगा. सूत्रों के अनुसार, उसने बताया कि सीओ का गला नहीं काटा था, गोली पास से सिर में मारी गई थी. इसलिये आधा चेहरा फट गया था.


विकास ने कहा कि उसे सूचना मिली थी कि 3 थानों की पुलिस दबिश देने आ रही थी. उसने उन सब पर निशाना साधने के लिए छतों पर अपने गैंग के लोगों को तैनात किया था. जब पुलिस आई तो गांव के मुखबिर ने फोन करके जानकारी दी कि पुलिस की गाड़ियां गांव में आ चुकी हैं. जिसके बाद सब अलर्ट हो गए.


विकास ने पुलिस को बताया कि करीब 11 बजे उसने जेसीबी गांव के रास्ते की ओर लगवा दी थी. विकास को अंदाजा था कि पुलिस का बैकअप 4 बजे से पहले नहीं आएगा. लेकिन दबिश में बचे हुए पुलिसकर्मियों ने दबिश की जानकारी अफसरों को पहुंचाई. वायरलेस पर मैसेज करने के बाद बैकअप रवाना हो गया था. ऐसे में विकास ने सबको भाग जाने को कहा लेकिन रणनीति के तहत सब अलग-अलग भागे थे.


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