Kanpur Violence: कानपुर हिंसा के मास्टरमाइंड को खाड़ी देशों से मिल रही थी फंडिंग! तीन साल में खाते में आए इतने करोड़
Kanpur Violence: उत्तर प्रदेश के कानपुर में नई सड़क इलाके में हुई हिंसा के बाद जांच में नए खुलासे हो रहे हैं. हिंसा के मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी के कई राज भी जांच अधिकारियों को मालूम चले हैं. एटीएस का कहना है कि हयात जफर हाशमी कानपुर की एक एनजीओ मौलाना मोहम्मद अली जौहर फैन्स असोसिएशन का अध्यक्ष है. इस संस्था को पिछले कुछ वर्षों में 50 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की फंडिंग मिली है. रिपोर्ट्स के मुताबिक एनजीओ के नाम पर चार बैंक अकाउंट हैं, जिसमें भारी मात्रा में खाड़ी देशों से मिली राशि जमा है.
Kanpur Violence: उत्तर प्रदेश के कानपुर में नई सड़क इलाके में हुई हिंसा के बाद जांच में नए खुलासे हो रहे हैं. हिंसा के मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी के कई राज भी जांच अधिकारियों को मालूम चले हैं. एटीएस का कहना है कि हयात जफर हाशमी कानपुर की एक एनजीओ मौलाना मोहम्मद अली जौहर फैन्स असोसिएशन का अध्यक्ष है. इस संस्था को पिछले कुछ वर्षों में 50 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की फंडिंग मिली है. रिपोर्ट्स के मुताबिक एनजीओ के नाम पर चार बैंक अकाउंट हैं, जिसमें भारी मात्रा में खाड़ी देशों से मिली राशि जमा है.
एनजीओ के नाम पर 4 खाते
मामले की जांच कर रहे एटीएस अधिकारियों ने साफ किया कि यह जानकारी शुरुआती है और आरोपी से पूछताछ के बाद ही पुष्टि की जाएगी. कानपुर हिंसा का मास्टरमाइंड हाशमी ही एनजीओ के स्थानीय लोन अकाउंट्स की देख-रेख करता है. ये तीन अकाउंट कानपुर के बाबूपुरवा, करनालगंज, और बीकनगंज इलाकों में है. चौथा अकाउंट पंजाब नेशनल बैंक में है.
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खातों में करोड़ों रुपये
एटीएस अधिकारियों ने हाशमी के लेनदेन के आंकड़े भी खंगाले. उन्होंने पाया कि 30 जुलाई 2019 को बाबूपूरवा वाले अकांउट में 3.54 करोड़ रुपये आए. सितंबर 2021 में उसने 98 लाख रुपये निकाले और 1.27 करोड़ रुपये अकाउंट में छोड़ दिए. एटीएस अधिकारियों ने यह भी पाया कि करनालगंज और बीकनगंज के स्थानीय प्राइवेट बैंक में पिछले तीन साल में 48 करोड़ रुपये आए.
हालांकि अब इन खातों में सिर्फ 12 लाख रुपये बचे हैं. इस राशि का स्रोत क्या था और यह किस काम के लिए इस्तेमाल हुई, यह फिलहाल साफ नहीं हो पाया है. एटीएस अधिकारियों को शक है कि आरोपी ने इस राशि का इस्तेमाल भारत-विरोधी गतिविधियों में किया है. जांच के बीच, एटीएस ने जफर हाशमी और उसके एनजीओ सहयोगियों से पूछताछ की योजना बनाई है ताकि लेनदेन की पुष्टि और पता लगाया जा सके.
कई मामलों में आ चुका है नाम
कानपुर में हाशमी जाना पहचाना नाम है. मामले में उसका नाम आने के बाद से समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ उसकी तस्वीरें वायरल होने लगीं. हालांकि उसका संबंध किस पार्टी से है, इसका खुलासा नहीं हो पाया है. साल 2008 में कानपुर पुलिस ने 9 बार उस पर केस दर्ज किया था.स्थानीय पुलिस सूत्रों के मुताबिक एक मामले में उसे बरी कर दिया गया है जबकि बाकी मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है.
2010 में बहन-मां ने किया था आत्मदाह
2010 में, उसने दावा किया था कि कुछ स्थानीय माफिया और बिल्डर उनके घर पर जबरन कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं और जवाब में उसने आत्मदाह की धमकी दी थी. 10 अक्टूबर 2010 को उनकी मां और बहन ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने आत्मदाह कर लिया और बाद में दोनों की मौत हो गई.
CAA प्रदर्शनों में भी आया था नाम
दिसंबर 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनों में उसका नाम आया था. उस पर भीड़ को भड़काने का आरोप था. साल 2021 में जगह-जगह COVID-19 प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए जुलूस निकालने के लिए फिर से उस पर मुकदमा दर्ज किया गया था.
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