कारगिल की कहानियां : बरस रहे थे गोले और मुस्कुरा रहे थे अटल बिहारी वाजपेयी
कम ही लोग जानते हैं कि इस युद्ध में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किस तरह सेना का मनोबल बढ़ाया था.
नई दिल्ली : कारगिल की लड़ाई में सेना की बहादुरी के किस्से तो लोग बहुत जानते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इस युद्ध में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किस तरह सेना का मनोबल बढ़ाया था.
वाजपेयी से जुड़ा एक किस्सा बयान करते हुए तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक बताते हैं, '13 जून को प्रधानमंत्री के साथ मैं गया था कारगिल. और वहां कारगिल के हेलीपैड पर हम खड़े हुए थे. बृजेश मिश्रा भी थे और शायद जॉर्ज फर्नांडिस भी थे, तभी पाकिस्तानियों ने कारगिल कस्बे के ऊपर बमबारी शुरू कर दी. हम लोग हेलीपैड के ऊपर खड़े हुए थे. वहां से यह सब देख रहे थे, सौभाग्य से वह हेलीपैड ऐसी जगह पर था, जहां मुझे यकीन था कि कोई गोला वहां तक नहीं आ सकता. तो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी साथ में थे. उन्होंने भी देखा. उन्होंने मेरी तरफ देखा, लेकिन वह बहुत शांत रहे और मुस्कुराते रहे. मुझसे इशारा करके कहने लगे यह क्या हो रहा है. मैंने कहा हां, यह तो ऐसा होता रहता है लड़ाई में.'
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मलिक पाकिस्तान का षड़यंत्र बताते हुए कहते हैं, 'जब हमें यकीन हो गया कि इसके पीछे पाकिस्तान मुजाहिदीन नहीं है, यह पाकिस्तानी फौज है. इसके अलावा परवेज मुशर्रफ और उनके कमांडर के बीच जो एक कन्वर्सेशन हुआ था, जिसको हमने पकड़ लिया था. तो उससे मुझे पता चला था कि इस बारे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को कुछ ना कुछ मालूम तो जरूर है. हो सकता है, उन्हें पूरी बात मालूम न हो, लेकिन कुछ न कुछ बताया तो उन्हें जरूर गया है. उसके बाद भी जो रिपोर्ट आती रही हैं, उससे यही अंदाजा लगा कि परवेज मुशर्रफ ने प्राइम मिनिस्टर से बातचीत की थी और उसको कुछ ब्रीफिंग भी दी है. नवाज शरीफ का यह कहना कि उन्हें कुछ मालूम नहीं था, यह बात सही नहीं है.'
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कारगिल विजय दिवस
26 जुलाई को देश में कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस युद्ध में आज ही के दिन हमने पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी. पाकिस्तान द्वारा भारत पर किए गए इस हमले को नाकाम करने के लिए भारत ने ऑपरेशन विजय के नाम से दो लाख सैनिकों को तैनात किया और इसमें 527 कभी लौटकर नहीं आए. पूर्व सेनाध्यक्ष वीपी मलिक कारगिल युद्ध के समय सेना का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने इस यु्द्ध के अपने अनुभवों पर एक किताब लिखी- 'कारगिल एक अभूतपूर्व विजय.'