Karnataka election 10 May VVIP seats tough fight: कर्नाटक के मतदाता आज राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे. ये चुनाव राज्य में भविष्य के राजनीतिक नेतृत्व के लिए निर्णायक साबित होने जा रहा है. दक्षिण भारत के इस सूबे में सत्ता के ट्रेंड की बात करें तो 1989 से कर्नाटक में हर पांच साल में सत्ता बदलती रही है. ऐसे में कांग्रेस (Congress) और जेडीएस (JDS) को आज अपने लिए बड़ा मौका दिख रहा है. वहीं बीजेपी (BJP) किसी तरह से अपना गढ़ बचाकर इतिहास बदलने की उम्मीद कर रही है. 


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दिग्गजों की बढ़ी टेंशन


कर्नाटक में दल कोई भी हो उसके ज्यादातर कद्दावर नेता या तो रिटायर हो चुके हैं या किसी तरह से इस बार अपनी सीट बचाने की जद्दोजहद में उलझे हैं. खुद मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी जैसे कई दिग्गज मैदान में हैं. कर्नाटक सरकार के कई मंत्रियों का मुकाबला कांग्रेस और जेडीएस के बड़े नेताओं से है. बीजेपी के कई बागी पार्टी बदलकर मैदान में हैं.


VVIP सीटों पर कांटे का मुकाबला


 ऐसे नेताओं में पूर्व सीएम सिद्धारमैया, एचडी कुमारस्वामी, जगदीश शेट्टार, वर्तमान सीएम बसवराज बोम्मई, डॉ जी परमेश्वर, लक्ष्मण सावदी, प्रियांक खरगे, डीएन जीवराज जैसे कई और नेताओं का नाम बताया जा रहा है. चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद यहां चर्चा ये थी कि बड़े नेताओं को आसान जीत मिल सकती है, क्योंकि विपक्षी दल उनके खिलाफ कमजोर उम्मीदवार खड़ा कर सकते हैं. लेकिन हुआ इसका उल्टा क्योंकि बगावत वजह रही हो या कुछ और बराबरी के उम्मीदवार उतरने से बड़े बड़ों की सीट फंसती दिख रही है. ऐसे में दिग्गजों के बीच का मुकाबला जबरदस्त रोमांचकारी और करीबी होने का अनुमान लगाया जा रहा है. 


ऐसे ही नेताओं में कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी शामिल हैं. बीजेपी (BJP) ने केपीसीसी (KPCC) अध्यक्ष के खिलाफ एक तगड़ी चुनौती देने वाला प्रत्याशी उतारा है. इस कारण शिवकुमार (Shiv Kumar) अपनी ही सीट पर उलझ गए हैं.


दिग्गजों की फंसी सीट?


Basavaraj Bommai बसवराज बोम्मई: लिंगायतों की नाराजगी और वोटों का ध्रुवीकरण होने के डर से बोम्मई ने संकेत दिए थे कि वह इस बार दूसरी सीट से लड़ेंगे. लेकिन पार्टी ने उन्हें शिगगांव से ही उतारा. यहां 'बोम्मई के डर का कारण उनका अपना लिंगायत समुदाय है, जो येदियुरप्पा को रिटायर करने से नाराज बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि लिंगायत इस बार बीजेपी से छिटक सकते हैं तो वहीं अन्य समुदायों में भी उनको लेकर नाराजगी है. इससे विपक्षी दल अब बोम्मई विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण करने में लगे हैं.


Jagadish Shettar जगदीश शेट्टार : जगदीश शेट्टार के सामने BJP के वोट तोड़ने की चुनौती है. बीजेपी के पूर्व सीएम अब कांग्रेस के टिकट पर हुबली से उम्मीदवार हैं. कहा जा रहा है कि शेट्टार के पास 50000 कांग्रेसी वोट हैं, जिनमें मुस्लिम, पिछड़े वर्ग और दलित शामिल हैं. पर इस सीट पर बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा है. ऐसे में उन्हें बीजेपी के 30 हजार वोट तोड़ने होंगे, जिसके उम्मीदवार लिंगायत समुदाय से हैं.


H. D. Kumaraswamy कुमारस्वामी : दलित वोटों के बंटने की खबर से इनकी टेंशन बढ़ गई है. कहा जा रहा है कि इस बार मुस्लिम मतदाता भी इनसे दूरी बना सकते हैं.  कुमारस्वामी चेन्नापट्टना से चुनावी मैदान में हैं तो उन्होंने अपने बेटे निखिल को रामनगर से उतारा है. उनके खिलाफ पूर्व मंत्री सीपी योगेश्वर मैदान में हैं, जिन्हें वोक्कालिंगा का समर्थन है. पिछले चुनावों में कुमारस्वामी ने मुस्लिम वोटों की परवाह नहीं की थी. इस बार कांग्रेस पिछड़े वर्ग के ज्यादातर वोट काट रही है, वहीं दलित वोट बराबर में बंटते दिख रहे हैं.


Siddaramaiah सिद्दारमैया : जातीय गणित में उलझे हैं वहीं उनके सामने भी तगड़ा प्रतिद्वंद्वी चुनावी अखाड़े में ताल ठोंक रहा है. वरुणा सीट पर सिद्दारमैया को अहिंदा (अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्ग और दलित) के दम पर अब तक जीतने में दिक्कत नहीं आई. बीजेपी ने उनके खिलाफ लिंगायत नेता मंत्री वी सोमन्ना को उतारा है. ऐसे में उनकी टेंशन बढ़ाते हुए जेडीएस ने दलित नेता भारती शंकर को टिकट दे दिया. जिसके बाद अब सिद्दारमैया खुद अपनी सीट बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.