Jammu Development Authority Action: जम्मू विकास प्राधिकरण जेडीए ने कश्मीरी पंडित प्रवासियों द्वारा बनाई गई दुकानों को ध्वस्त कर दिया है, जिससे इलाके में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा है. पीड़ित दुकानदारों ने सरकार से अपनी दुर्दशा का समाधान करने और नई दुकानों के निर्माण की मांग की है. इस कार्रवाई से प्रभावित राजेंद्र कुमार ने बताया कि दो दिन पहले ही उन्होंने अपनी दुकान खोली थी, जब अचानक बुलडोजर लेकर कुछ लोग आए और दुकान खाली करने का आदेश दे दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें नोटिस नहीं दिया गया और एक घंटे के भीतर दुकान पूरी तरह तोड़ दी गई.


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दुकान के सहारे अपना परिवार चला रहे..
असल में न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक राजेंद्र कुमार पिछले 35 साल से इस दुकान के सहारे अपना परिवार चला रहे थे. रोजाना 100-200 रुपये की मामूली कमाई से उनके परिवार का गुजारा हो रहा था और बच्चों की पढ़ाई का खर्च निकल रहा था. अब दुकान टूटने के बाद वे और उनका परिवार सड़क पर आ गए हैं. इसी तरह, एक अन्य दुकानदार ने बताया कि वह 1991 से इस इलाके में रहकर अपनी दुकान चला रहे थे. उन्होंने कहा कि जब तक वे कुछ समझ पाते, उनकी दुकान तोड़ दी गई, जिसमें उनका आधा सामान भी अंदर ही रह गया.


नेताओं से न्याय की गुहार लगाई..
दुकानदारों ने उपराज्यपाल और स्थानीय नेताओं से न्याय की गुहार लगाई है. एक दुकानदार ने उमर अब्दुल्ला से सवाल किया कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने दुकानदारों की इस स्थिति के बारे में क्यों नहीं सोचा. दुकानदार कुलदीप ने बताया कि 20 नवंबर की सुबह जब वे दुकान खोल रहे थे, जेडीए के लोग आए और एक घंटे का समय देकर उनकी दुकानों को तोड़ दिया. उन्होंने कहा कि 35 साल तक किसी ने उन्हें वहां से हटाने की बात नहीं की, और अब अचानक उनकी रोजी-रोटी छीन ली गई.


हालांकि, जम्मू विकास प्राधिकरण के आयुक्त अरविंद करवानी ने आश्वासन दिया है कि क्षेत्र में नई दुकानें बनाई जाएंगी. उन्होंने कहा कि दुकानदारों की मांग के अनुसार टेंडर जारी किया जा चुका है और 25 नवंबर तक इसे अंतिम रूप दिया जाएगा. निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा, और पीडब्ल्यूडी के माध्यम से दुकानों का आवंटन मानदंडों के अनुसार किया जाएगा.


कश्मीरी पंडित प्रवासियों के लिए नई चुनौतियां..
इस कार्रवाई ने कश्मीरी पंडित प्रवासियों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. वर्षों से अपनी छोटी दुकानों के सहारे जीवनयापन कर रहे इन लोगों के लिए यह फैसला एक बड़ा झटका है. प्रशासन द्वारा नई दुकानों के निर्माण का आश्वासन दिया गया है, लेकिन प्रभावित परिवार अब भी अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को लेकर चिंतित हैं. ians