Eyewitness of Kathua attack: ''हम लोग हमले वाली जगह से चंद फासले की दूरी पर खड़े थे. मेरी यहीं दुकान है. उस समय दुकान पर लगभग 12 लोग खड़े थे. अचानक से हमने एक धमाका सुना. पहले तो लगा कि किसी गाड़ी का टायर फटा, लेकिन कुछ देर बाद ही गोलियों की तड़तड़ाहट होने लगी. हमें समझते देर नहीं लगी कि मुठभेड़ शुरू हो गई है. हम लोग फौरन बचने के लिए छिप गए. जब गोलियां चलनी बंद हुई तो हम हमले वाली जगह पहुंचे और घायलों को बचाने की कोशिश करने लगे.'' 


मुठभेड़ स्थल पर जगह जगह बिखरा था खून


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये आपबीती कठुआ में हमले के एक चश्मदीद ने बताई. घटनास्थल से कुछ मीटर की दूरी पर एक दुकान चलाने वाले पूरन चंद शर्मा ने बताया कि हमले से करीब 10 मिनट पहले एक सिविलियन बस वहां से गुजरी थी. उसके कुछ देर बाद हमने जोरदार धमाका सुना. समाचार एजेंसी भाषा से उन्होंने बताया कि शाम पांच बजे तक गोलीबारी चलती रही और इसके एक घंटे बाद भी रुक-रुक कर गोलियां चलीं. मुठभेड़ स्थल पर जगह-जगह बिखरे खून, टूटे हेलमेट, चकनाचूर शीशे, पंचर हुए टायर और गोलियों के खोखे हादसे की भयावहता बता रहे हैं. 


 



हमले से कुछ मिनट पहले गुजरी थी सिविलियन बस


पूरन चंद ने बताया कि करीब 12 ग्रामीण घटना के समय मेरी दुकान पर थे. हम गोली से बचने के लिए छिप गए. जब गोलीबारी रुकी, तब हम हताहतों की मदद के लिए मौके पर पहुंचे. एक अन्य ग्रामीण विजय कुमार ने बताया कि करीब तीन दशक पहले जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से आतंकवाद का दौर शुरू होने के बाद यह पहली आतंकवादी घटना है. उन्होंने कहा कि यहां करीब 100 परिवार रहते हैं और हमने इलाके में आतंकवादियों की कोई गतिविधि नहीं देखी. कुमार का मानना है कि आतंकवादी बस से आए थे जो गोलीबारी से महज कुछ मिनट पहले ही इलाके से गुजरी थी. घटना के कुछ घंटों बाद मौके पर पहुंचे कठुआ के SSP अनायत अली चौधरी आतंकवाद विरोधी अभियान की निगरानी के लिए अन्य अधिकारियों के साथ लावांग-मछेड़ी में डेरा डाले हुए हैं. 


घने जंगलों में चल रहा तलाशी अभियान


एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आतंकवादियों को पकड़ने और उन्हें मार गिराने के प्रयास जारी है. संयुक्त तलाशी दल पूरे इलाके की तलाशी ले रहे हैं और यह जांच का विषय है कि आतंकवादी इस इलाके में कैसे पहुंचे. पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन उधमपुर जिले के बसंतगढ़ से जुड़े घने जंगलों में चल रहे आतंकवाद विरोधी अभियान की निगरानी कर रहे हैं. इस इलाके में पहले भी कई मुठभेड़ हो चुकी हैं. 


हमारे 5 जवान हुए थे शहीद


गौरतलब है कि हथियारों से लैस आतंकवादियों ने सोमवार को जिला मुख्यालय कठुआ से लगभग 150 किलोमीटर दूर बदनोटा गांव के पास माछेड़ी-किंडली-मल्हार पहाड़ी मार्ग पर दोपहर करीब साढ़े तीन बजे सेना के दो वाहनों को निशाना बनाते हुए ग्रेनेड फेंका और अंधाधुंध गोलीबारी की. इस हमले में हमारे पांच सैनिक शहीद हो गए तथा पांच अन्य घायल हो गए. 


पाकिस्तानी आकाओं की शह पर कर रहे खून-खराबा


यह एक महीने में जम्मू रीजन में पांचवां आतंकवादी हमला था. कश्मीर घाटी की तुलना में अब अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं में इजाफे के लिए अधिकारियों ने आतंकियों के पाकिस्तानी आकाओं को जिम्मेदार ठहराया है जो क्षेत्र में आंतकवाद को फिर से भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. अधिकारियों ने घटना को याद करते हुए बताया कि सैनिकों ने हताहत होने के बावजूद साहस और दृढ़ता का परिचय दिया तथा कई घंटों तक आतंकवादियों का मुकाबला किया. 


तीन आतंकियों ने बरसाईं थीं गोलियां


उन्होंने बताया कि माना जा रहा है कि तीन आतंकवादियों के समूह ने इस हमले को अंजाम दिया. आतंकवादियों ने सैनिकों पर अचानक हमले के लिए पहाड़ी पर फैले घने जंगल की आड़ ली थी. अधिकारियों ने बताया कि भारी बारिश के कारण सोमवार देर रात को आतंकवादियों की तलाश करने के लिए अभियान को स्थगित कर दिया था लेकिन मंगलवार को इसे फिर से शुरू किया गया. सेना के विशिष्ट पैरा-कमांडो और खोजी कुत्ते तलाशी अभियान में शामिल हैं जबकि ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मदद से आसमान से नजर रखी जा रही है.