Jammu Kashmir Kathua Terrorist Attack: उस दिन कठुआ में जब भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला किया तो ट्रक में 22 गढ़वाल रेजिमेंट के जवान बैठे थे. आतंकियों ने उन्हें घेरकर मुठभेड़ की साजिश रची थी. उनकी मंशा शायद हथियार लूटने और जवानों के करीब पहुंचने की थी. अगर ऐसा होता तो सेना को और ज्यादा नुकसान हो सकता था. हालांकि पहली गोली चलते ही गढ़वाल रेजिमेंट के जवानों की बंदूकें आग उगलने लगीं. जी हां, भारत मां के सपूतों ने पहले खुद को संभाला फिर भीषण गोलीबारी में अपने जख्मी साथियों को बचाया.


बद्री विशाल की जय का नारा


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दोनों तरफ से चलती गोलियों के बीच जवानों ने 'बद्री विशाल की जय' का उद्घोष किया. इसके बाद जान की परवाह किए बगैर भारत के लाल कहर बनकर दुश्मन पर टूट पड़े. गढ़वाल राइफल्स भारतीय सेना की एक सैन्य टुकड़ी है. गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट का युद्ध उद्घोष है - बद्री विशाल लाल की जय. 


5100 से ज्यादा राउंड गोलियां चलीं


उस समय कैसा मंजर रहा होगा, इसे आप ऐसे समझिए कि मुठभेड़ में भारतीय रणबांकुरों ने आतंकियों पर 5100 से ज्यादा गोलियां बरसाई थीं. यही वजह थी कि छिपकर वार करने वाले दहशतगर्दों के पांव उखड़ गए और वे कठुआ की पहाड़ियों में भागने को मजबूर हो गए. जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में तीन दिन पहले हुए आतंकवादी हमले में पांच जवान शहीद हो गये थे और पांच सैनिक घायल हुए थे. इस हमले के बाद दो घंटे से ज्यादा समय तक लगातार गोलीबारी होती रही.


कठुआ जिले के माचेडी इलाके में सोमवार को सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर किए गए आतंकवादियों के हमले में जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) समेत पांच जवान शहीद हो गये थे. अधिकारियों ने बताया कि यह घटना दोपहर लगभग साढ़े तीन बजे हुई जब कठुआ शहर से 150 किमी दूर लोहई मल्हार में बदनोता गांव के पास माचेडी-किंडली-मल्हार मार्ग पर सेना के वाहन नियमित गश्त पर थे.


खून से सने हेलमेट, खोखे और... 


भारी गोलीबारी का सामना कर रहे सैनिकों ने कड़ा मुकाबला किया था. आतंकवादियों को उनके हथियार छीनने और ज्यादा नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए जवान लगातार गोलीबारी करते रहे. अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद साक्ष्यों, खून से सने हेलमेट, खोखों और वाहनों की जांच कर रहे हैं. घायल सैनिकों से बात भी की जा रही है जिससे 8 जुलाई को हुई घटना के बारे में समझा जा सके. एक अधिकारी ने बताया कि माना जा रहा है कि आतंकवादी तीन लोगों के एक समूह में थे और दो अलग-अलग स्थानों पर छिपे थे. यह हमला जम्मू में एक महीने में हुआ पांचवां हमला है.


बाएं हाथ से ही गोलियां बरसाता रहा जवान


एक अधिकारी ने कहा, ‘जबरदस्त शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद भारतीय सेना के गढ़वाल रेजिमेंट के जवानों ने आतंकवादियों पर 5,189 गोलियां चलाईं, जिससे उन्हें घटनास्थल से भागने को मजबूर होना पड़ा.’ घायल जवानों का पठानकोट के सेना अस्पताल में इलाज चल रहा है. इसमें राइफलमैन कार्तिक सिंह भी हैं. आतंकवादियों द्वारा दागे गए ग्रेनेड के छर्रे से उनका दाहिना हाथ कई जगहों पर छिल गया था, लेकिन वे विचलित नहीं हुए और अपने बाएं हाथ से तब तक गोलीबारी करते रहे, जब तक उनका हथियार जाम नहीं हो गया.


बद्री विशाल की जय का जयकारा


एक अधिकारी ने कहा, ‘सैनिकों ने गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद अटूट बहादुरी और निस्वार्थ समर्पण का परिचय दिया.’ शहीद होने वाले सपूतों में नायब सूबेदार आनंद सिंह, हवलदार कमल सिंह, नायक विनोद सिंह, राइफलमैन अनुज नेगी और राइफलमैन आदर्श नेगी शामिल थे. ये सभी उत्तराखंड के थे. सैनिकों का नेतृत्व जेसीओ नायब सूबेदार आनंद सिंह ने किया था. जब वे जवाबी हमले कर रहे थे, 22 गढ़वाल रेजिमेंट के जवानों ने ‘बद्री विशाल की जय’ का जयकारा लगाया था.


पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े ‘कश्मीर टाइगर्स’ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. जम्मू क्षेत्र वैसे तो अपने शांतिपूर्ण माहौल के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल के महीनों में आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों से यह दहल गया है. ये हमले सीमावर्ती जिलों पुंछ, राजौरी, डोडा और रियासी में हुए हैं. (भाषा इनपुट)