तिरुवनंतपुरम: केरल में साइबर क्राइम को रोकने के लिए संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है लेकिन विपक्ष इसका विरोध कर रहा है और इसे मौलिक अधिकारों का हनन बता रहा है. आखिर इस अध्यादेश में ऐसा क्या है, केरल पुलिस एक्ट में कौनसा संशोधन किया गया है?


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केरल (Kerala) के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) ने केरल पुलिस अधिनियम (Kerala Police Act) संशोधन अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. इस अध्यादेश को लाने के पीछे केरल सरकार का मकसद राज्य में महिलओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ रहे साइबर क्राइम को रोकना है.


केरल पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश-


- इस अध्यादेश में पुलिस एक्ट के सेक्शन 118-A को मजबूत किया गया है.
- इसमें सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति को डराने, अपमान करने या बदनाम करने पर सजा का प्रावधान है.
- अब 5 साल तक की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है.
- साथ ही अध्यादेश में सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान भी है.


हालांकि कांग्रेस (Congress) समेत विपक्ष इसका विरोध कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि ये अध्यादेश पुलिस को असीमित ताकत देगा और साथ ही इससे प्रेस की आजादी पर भी अंकुश लगेगा.


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कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने कहा, 'ये संविधान के अनुच्छेद-19 का उल्लंघन है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अनदेखी है और संविधान के खिलाफ है. ये विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए है जो सरकार का विरोध करते हैं. ये कानून उनके खिलाफ पुलिसराज लाने की तैयारी है.'


कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने केरल सरकार पर सवाल उठाते हुए संशोधन अध्यादेश को अत्याचारी और हैरान करने वाला बताया है. पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, 'केरल की LDF सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर तथाकथित आपत्तिजनक पोस्ट करने के कारण 5 साल की सजा सुनकर स्तब्ध हूं. मेरे मित्र @SitaramYechury, सीपीआईएम, के महासचिव इन अत्याचारी निर्णयों का बचाव कैसे करेंगे?'



गौरतलब है कि विपक्ष के लगातार विरोध और सवालों के बीच केरल पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दी जा चुकी है और केरल सरकार ने महामारी के बाद सोशल मीडिया के जरिए हो रहे अपराध, हेट स्पीच को रोकने के लिए संशोधन जरूरी बताया है.


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