वायनाड: केरल (Kerala) के पशु चिकित्सक (Veterinary Doctor) जॉन अब्राहम ने 7 साल से ज्यादा लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मुर्गे के अपशिष्ट (Waste) से बायोडीजल (Biodiesel) बनाने का पेटेंट हासिल कर लिया है. यह ईंधन एक लीटर में 38 किलोमीटर से ज्यादा का एवरेज देता है और इसकी कीमत डीजल की मौजूदा कीमत की करीब 40 प्रतिशत है और इससे प्रदूषण भी कम होता है.


मुर्गों के अपशिष्ट से तेल


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केरल वेटेरिनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले वेटेरिनरी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर अब्राहम ने कहा कि उन्हें साढ़े सात साल के लंबे इंतजार के बाद सात जुलाई, 2021 को भारतीय पेटेंट कार्यालय (Indian Patent Office) ने पेटेंट दे दिया. अब्राहम ने काटे गए मुर्गों के अपशिष्ट (Poultry Waste) से निकलने वाले तेल से बायोडीजल का अविष्कार किया है. उन्होंने कहा कि 2009-12 के दौरान उन्होंने यह अविष्कार किया. उन्होंने दिवंगत प्रोफेसर रमेश श्रवणकुमार के मार्गदर्शन में अपनी रिसर्च पूरी की.


इसी फ्यूल से चल रहा व्हीकल


रिसर्च के बाद अब्राहम ने वायनाड के कलपेट्टा के पास स्थित पोकोडे वेटेरिनरी कॉलेज में 2014 में 18 लाख रुपये की लागत के साथ एक एक्सपेरीमेंटल प्लांट स्थापित किया. इसके लिए उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) से फइनेंस मिला. इसके बाद भारत पेट्रोलियम (Bharat Petroleum) की कोच्चि स्थित रिफाइनरी ने अप्रैल 2015 में अब्राहम के बायोडीजल को गुणवत्ता प्रमाणपत्र दिया और तब से कॉलेज में एक वाहन इसी ईंधन से चल रहा है.


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कितने मुर्गे के वेस्ट से कितना बायोडीजल?


यह पूछे जाने पर कि ईंधन के लिए वह मुर्गे के अपशिष्ट का ही इस्तेमाल क्यों करते हैं, अब्राहम ने कहा कि पक्षियों और सूअरों के पेट में काफी फेट होता है और इस वजह से सामान्य तापमान पर उससे तेल निकालना आसान होता है. अब्राहम और उनके छात्र अब सूअर के अपशिष्ट से बायो डीजल बनाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. उन्होंने साथ ही बताया कि कसाई घरों से मिलने वाले मुर्गे के 100 किलोग्राम वेस्ट से एक लीटर बायोडीजल का उत्पादन किया जा सकता है.


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