Kisan Andolan News Today: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के आंदोलन का आज तीसरा दिन है. दिल्ली कूच के ऐलान पर अड़े पंजाब के किसान अपने ट्रैक्टर- ट्रॉलियों और राशन के साथ हरियाणा- पंजाब को जोड़ने वाले अंबाला के शंभू बॉर्डर पर मौजूद हैं, जहां हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोका हुआ है. मामले का हल निकालने के लिए केंद्र सरकार आंदोलनकारी किसानों से 2 दौर की बातचीत कर चुकी है और आज चंडीगढ़ में तीसरे दौर की बातचीत हो रही है. सबकी नजरें इस बात पर हैं कि क्या इस बातचीत और सरकार के आश्वासन से किसान मान जाएंगे या फिर आंदोलन आगे भी जारी रहेगा. उधर प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े रहे किसान लीडर गुरनाम चढूनी भी सामने आ गए हैं. उन्होंने सरकार पर दबाव बनाने के लिए कई ऐलान किए हैं.


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'हरियाणा में कल 3 घंटे हाईवे रहेंगे टोल फ्री' 


गुरनाम चढूनी ने अपने फैसलों की जानकारी देते हुए कहा, 'किसान आंदोलन पर आज कई संगठनों की बैठक हुई. इस बैठक में संगठन ने तीन फैसले लिए हैं. पहला ये कि हम कल दोपहर 12 बजे से शाम 3 बजे तक हरियाणा को टोल फ्री रखेंगे. इसके बाद परसों हर तहसील में दोपहर 12 बजे से ट्रैक्टर परेड होगी. फिर 18 फरवरी को सभी किसान और मजदूर संगठनों की संयुक्त बैठक करके आगे के फैसले लिए जाएंगे..."



क्या चंडीगढ़ से आने वाली है गुड न्यूज?


उधर किसान नेताओं के साथ तीसरे दौर की बातचीत करने के लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय चंडीगढ़ पहुंच चुके हैं. जबकि किसान नेता भी शंभू बॉर्डर से चंडीगढ़ आ चुके हैं. यह बैठक चंडीगढ़ में सेक्टर 26 के महात्मा गांधी स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में होगी. उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक से किसान आंदोलन पर कोई अच्छी खबर आ सकती है. 


इन मांगों को लेकर कर रहे आंदोलन


बताते चलें कि पंजाब के किसान संगठन सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP लागू करने समेत 13 सूत्री मांगों के लिए आंदोलन कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार इनमें से MSP समेत 3 मांगों को छोड़कर बाकी 10 मांगों को पूरा करने पर अपनी सहमति दे चुकी है. हालांकि किसान नेता कह रहे हैं कि अभी तक उन्हें ऐसा कोई आश्वासन नहीं मिला है और केवल हवाई बातें चल रही हैं. 


संयुक्त किसान मोर्चा फिलहाल आंदोलन से दूर


किसानों के इस आंदोलन से फिलहाल संयुक्त किसान मोर्चा दूर है. हालांकि गुरनाम चढूनी जैसे उसके कुछ लीडर बाहर से इस आंदोलन को अपना समर्थन दे रहे हैं. इस आंदोलन को खत्म करवाने के लिए केंद्र सरकार अब तक किसान नेताओं के साथ 2 दौर की बातचीत कर चुकी है. हालांकि अभी तक उसे इस काम में कामयाबी नहीं मिल पाई है.