कोलकाता के बड़ा बाजार में लोग रातों-रात घर छोड़ने को मजबूर, जानें क्या है वजह
Kolkata News: पश्चिम बंगाल में कोलकाता के बड़ा बाजार में लोगों का रहना मुश्किल हो गया है. लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं. आइये आपको बताते हैं आखिर इस समस्या की वजह क्या है.
Kolkata News: कोलकाता का बड़ा बाजार सबसे व्यस्ततम इलाकों में से एक माना जाता है. यहां बाजारों से लेकर रिहाइशी मकान भी बड़े स्तर पर मौजूद हैं. लेकिन ऐसा क्या हो गया कि रातों रात लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. दरअसल इस मामले की शुरुआत साल 2019 में बड़ा बाजार इलाके में मेट्रो का काम चालू होने के बाद हुई. उस दौरान मेट्रो के काम के चलते बड़ाबाजार के 40 घरों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था. कई घरों को ध्वस्त करना पड़ा था और लोगों को अपने घरों को छोड़ कर जाना पड़ा था.
घरों में पड़ने लगीं दरारें
2019 अगस्त के बाद अब मई 2022 यानी ढाई साल बाद फिर से बड़ा बाजार के दुर्गा पितुरी इलाके में वही भयानक नजारा देखने को मिल रहा है. मेट्रो प्रोजेक्ट के आसपास स्थित कई घरों में दरारें देखने को मिली. केवल इतना ही नहीं बल्कि सड़क में भी दरारें दिखाई दे रही हैं. डर के मारे लोग आधी रात में ही अपने घरों से निकल कर सड़क पर आ गए. घर खाली करने के लिए इलाके में माइक से ऐलान भी किया जा रहा है. मेट्रो के अधिकारी भी मौके पर पहुंच कर मुआयना कर रहे हैं.
घर छोड़ने को मजबूर हुए लोग
इस इलाके में शशि भूषण जायसवाल अपनी पत्नी कंचन जायसवाल के साथ 50 साल से भी ज्यादा समय से रह रहे हैं. उनके परिवार में कुल 8 सदस्य हैं, जिनमे दो बच्चे हैं. कंचन देवी ने रोते हुए बताया की अब वो कभी भी उस घर में नहीं जा पाएंगी और ताश के पत्तों की तरह उनका सजाया हुआ संसार टूट के बिखर गया. कंचन देवी ने बताया कि इससे पहले भी ऐसी एक घटना घटी थी और उस वक्त भी उन्हें 3 महीने अपने घर से दूर रहना पड़ा था. आज फिर वही भयानक सपना उनका पीछा कर रहा है.
भाजपा ने टीएमसी नेताओं पर लगाया आरोप
इस घटना की खबर फैलते ही मामले ने राजनितिक तूल ले लिया है. बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने दुर्गापुर में चाय पे चर्चा के दौरान कहा कि मेट्रो रेल की वजह से घरों में जो दरार पैदा हो रही है, उसका जिम्मेदार मेट्रो प्रशासन नहीं है, बल्कि तृणमूल के नेताओं ने जबरदस्ती रुट में परिवर्तन कर बड़ा बाजार के लोगों को खतरे में डाल दिया है. यही कारण है कि बार-बार इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं. अब कोलकाता के लोगों को पाताल प्रवेश के पहले डर के माहौल में जीना पड़ेगा.
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