Kuber Dev in captivity in Palamu: अयोध्या में रामलला लगभग तीन दशकों तक टेंट में रहने को मजबूर हुए थे. कुछ इसी तरह का एक मामला झारखंड के  पलामू में हुआ है, जहां भगवान कुबेर पिछले चार दशकों से एक थाने में बंद हैं और रिहाई का इंतजार कर रहे हैं. अब आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि भगवान कुबेर जो धन के देवता हैं, जिनके सामने लोग धन कमाने के लिए नतमस्तक रहते हैं, वो भगवान कुबेर पिछले 38 वर्षों से थाने में बंद हैं? इस सवाल का जवाब जानने समझने के लिए ज़ी न्यूज़ की टीम पलामू के उस मंदिर में पहुंची, जहां भगवान कुबेर कोर्ट कचहरी के चक्कर में फंसे हुए हैं.


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पिछले 4 दशकों से कोर्ट की कार्रवाई झेल रहे कुबेर देव


कहते हैं कि भगवान बचाए..कोर्ट कचहरी के चक्कर से लेकिन पलामू के इस मंदिर के भगवान खुद पिछले चार दशकों से कोर्ट कचहरी के चक्कर में फंसे हुए हैं. पलामू के विश्रामपुर गांव में पंचमुखी मंदिर का निर्माण 152 वर्ष पहले वर्ष 1872 में विश्रामपुर के राज परिवार ने करवाया था और भगवान कुबेर और भगवान के दो द्वारपाल जय और विजय की मूर्तियां भी स्थापित करवाईं थीं.


वर्ष 1986 में में आधी रात को भगवान कुबेर और उनके द्वारपाल की मूर्ति चोरी हो गईं. वर्ष 1991 में मंदिर में फिर से चोरी हुई और चोर भगवान के दूसरे द्वारपाल की मूर्ति ले गए. बाद में चोर पकड़े गए..मूर्तियां बरामद कर ली गईं..लेकिन भगवान कुबेर और उनके द्वारपाल आज भी विश्रामपुर थाने के मालखाने में बंद हैं और अपनी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं.


पुलिस की लापरवाही से जल गए केस के कागजात


पंचमुखी मंदिर के पुजारी अच्युतानंद पांडे कहते हैं कि मूर्ति वापस लेने के लिए 14 बार कोर्ट गए. कोर्ट में बार- बार इस बात पर जिरह हुई कि ये मंदिर के वास्तविक पुजारी हैं कि नहीं. काफी आग्रह के बावजूद जज नहीं माने. कहा कि लिखित रूप में यह बात जाएगी. इसके बाद पुलिस की रिपोर्ट लगने पर ही मूर्ति बाहर निकाली जा सकेंगी. 


अब इंसाफ के मंदिर में भगवान कुबेर की रिहाई का केस फंसा हुआ है. पुलिस कह रही है कि मूर्ति चोरी से जुड़ी शिकायत और बरामदगी के कागजात जल चुके हैं. इसलिए आजतक भगवान अपने मंदिर में विश्राम करने के बजाय विश्रामपुर थाने के मालखाने में ताले के अंदर बंद पड़े हैं.


श्रद्धालु कर रहे कुबेर देव की मुक्ति की उम्मीद


भगवान कुबेर की रिहाई कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसी हुई है. मंदिर के पुजारी हों या आम भक्त..सब इंतजार में हैं कि उनके भगवान जल्द से जल्द पुलिस की कैद से रिहा हों. पुलिस की लापवाही और सिस्टम की खामियों की सजा अकसर आम लोगों को भुगतनी पड़ती है. लेकिन पलामू में तो भगवान कुबेर ही पुलिस की लापरवाही की सजा भुगत रहे हैं..वो भी पिछले 38 वर्षों से. 


अब यहां तो हम ये भी नहीं कह सकते कि भगवान बचाए ऐसे सिस्टम से क्योंकि भगवान तो खुद सिस्टम का शिकार होकर 38 साल से कैद हैं. पुलिस ने भगवान की चोरी हुईं मूर्तियां तो खोज लीं लेकिन भगवान को मालखाने से आजाद करने के लिए जरूरी रिलीज़ पेपर ही खो दिये. अब भक्तों की उम्मीद न्याय के मंदिर पर टिकी हैं...जहां से रिलीज़ ऑर्डर आए तो भगवान कुबेर को पुलिस की कैद से मुक्ति मिले.