Cheetah death News: कम उम्र के चीते लाने से Project Cheetah को मिलेगी रफ्तार, एक्सपर्ट्स ने दी सलाह
Kuno National Park Cheetah: हाल ही में सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट में, विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि कम उम्र के चीते अपने नए वातावरण के अनुरूप अधिक आसानी से ढल जाते हैं और बड़ी उम्र के चीतों की तुलना में उनके जीवित रहने की दर अधिक होती है.
Project Cheetah New Update: प्रोजेक्ट चीता में शामिल अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में शुरुआती अनुभव के आधार पर सरकार को भारत में बसाने के लिए कम उम्र के ऐसे चीतों को प्राथमिकता देने की सलाह दी है, जो प्रबंधन के कार्य में शामिल वाहनों और मानव की उपस्थिति में रहने के आदी हों. हाल ही में सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट में, विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि कम उम्र के चीते अपने नए वातावरण के अनुरूप अधिक आसानी से ढल जाते हैं और बड़ी उम्र के चीतों की तुलना में उनके जीवित रहने की दर अधिक होती है. कम उम्र के चीते अन्य चीतों के प्रति अपेक्षाकृत कम आक्रामक होते हैं जिससे चीतों के बीच आपसी लड़ाई से होने वाली मौत का खतरा कम हो जाता है.
पर्यटन को बढ़ाने में मिलेगी मदद
विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में कहा कि प्रबंधन में शामिल वाहनों और मानव की उपस्थिति में रहने के आदी चीतों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की निगरानी, तनाव मुक्त पशु चिकित्सा और प्रबंधन हस्तक्षेप को सरल बनाने समेत पर्यटन को बढ़ाने में मदद मिलती है. उन्होंने सरकार को चीतों को बसाने के लिए मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के अलावा अन्य स्थान चिह्नित करने की भी सलाह दी. उन्होंने कहा कि कूनो को पर्यटन के लिए खोला जाने वाला है और चीतों के मानव उपस्थिति के आदी होने से उद्यान को पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाने में मदद मिल सकती है.
विशेषज्ञों ने दी सलाह
कूनो में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से दो समूहों में चीतों को लाया गया था. विशेषज्ञों ने कहा कि कम उम्र के वयस्क चीते नए माहौल में अधिक आसानी से ढल जाते हैं और अधिक उम्र के चीतों की तुलना में उनके जीवित रहने की दर भी अधिक होती है. विशेषज्ञों ने चीतों को बाहर से लाकर भारत में बसाने पर आने वाले खर्च को ध्यान में रखते हुए रेखांकित किया कि कम उम्र के चीते छोड़े जाने पर वह अधिक समय तक जीवित रहते हैं. अफ्रीकी विशेषज्ञों ने 19 महीने से 36 महीने की उम्र के 10 चीतों का भी चयन किया है जिन्हें 2024 की शुरुआत में भारत भेजने के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है.
चीतों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण
विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की मौत की दर दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके कारण मीडिया में कई नकारात्मक समाचार प्रकाशित एवं प्रसारित हुए हैं, लेकिन यह मृतक संख्या वन्य चीता पुनर्वास के सामान्य मापदंडों के भीतर है. मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मार्च के बाद से नौ चीतों की मौत हो चुकी है, जिनमें छह वयस्क एवं तीन शावक शामिल हैं. बहुप्रतीक्षित ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत कुल 20 चीतों को दो समूहों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कूनो में लाया गया था. चार शावकों के जन्म के बाद चीतों की कुल संख्या 24 हो गई थी, लेकिन नौ चीतों की मौत के बाद यह संख्या घटकर अब 15 रह गई है.
(इनपुट: एजेंसी)