नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को किसान संगठन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब लखीमपुर खीरी जैसी घटनाएं हो जाती हैं तो फिर कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. किसान महापंचायत नामक संगठन ने शीर्ष अदालत से मांग की थी कि उन्हें दिल्ली के जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की परमिशन दी जाए, इसी मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तल्ख टीप्पणी की है. 


जब कानूनों के अमल पर रोक तो विरोध किस बात का?


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किसान महापंचायत संगठन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसानों के आंदोलन पर सवाल उठाया कि जब कानूनों के अमल पर रोक है तो विरोध किस बात का. किसानों की मांग पर कहा कि कोर्ट इस बात का परीक्षण करेगा कि क्या प्रदर्शन करने का हक मूल अधिकार है या नहीं. वहीं केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि यदि हमें लखीमपुर खीरी जैसी घटनाओं को टालना है तो भविष्य में ऐसे किसी आंदोलन को परमिशन नहीं दी जानी चाहिए.


अगली सुनवाई की तारीख 21 अक्टूबर को


अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने रविवार को हुई हिंसा को लेकर भी दुख जताया. उन्होंने कहा कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं नहीं होनी चाहिए. ऐसे प्रदर्शनों पर रोक लगनी जरूरी है. अदालत अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 अक्टूबर तय की है. वहीं एक और मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे 40 से अधिक किसान नेताओं और विभिन्न किसान संगठनों को नोटिस भी जारी किया है. 


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सड़कों को हमेशा के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता


बता दें, इससे पहले एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए 30 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि सड़कों को हमेशा के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है और केंद्र से पूछा कि दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा सड़क की नाकेबंदी को हटाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.


(Input: PTI)


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