नई दिल्ली : प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सुझाव जानने का प्रयास कर रही भाजपा की समिति ने पाया कि संशोधनों को किसान ‘हानिकारक’ मान रहे हैं जबकि विवाद के समाधान जैसे कुछ मुद्दे हैं जिनसे निपटने की जरूरत है ।


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आठ सदस्यीय समिति के समन्वयक और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यपाल मलिक ने कहा, ‘हम विभिन्न किसान संघों और कृषि संगठनों के लोगों से मुलाकात कर रहे हैं और उनका विचार जानकर यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि अध्यादेश की प्रावधानों को लेकर उनकी क्या आपत्तियां हैं । हम पार्टी अध्यक्ष को ठोस प्रतिक्रिया भेजेंगे जो वरिष्ठ नेताओं से विचार कर कोई निर्णय करेंगे।’ वह तीन दिवसीय विचार-विमर्श के दूसरे दिन बात कर रहे थे।


उन्होंने कहा, ‘सलाह-मशविरे के दौरान जिस तरह की प्रतिक्रियाएं हमें मिली हैं उससे पता चलता है कि लोग नये संशोधनों से आम तौर पर खुश नहीं हैं। कुछ धारणाएं हैं जिसके बारे में हम उन्हें स्पष्टीकरण दे रहे हैं। बहरहाल अगर कुछ बिंदुओं पर वे अब भी असहमत हैं तो हम उन्हें अपनी रिपोर्ट में शामिल कर रहे हैं।’


यह पूछने पर कि अध्यादेश से पहले इस तरह का विचार-विमर्श क्यों नहीं किया गया तो मलिक ने कहा, ‘संशोधन उतने हानिकारक नहीं हैं जितने बताए जा रहे हैं। हमें उम्मीद नहीं थी कि इसे तरह से लिया जाएगा। बहरहाल अगर लोगों को आपत्तियां हैं तो यह प्रतिष्ठा का कोई मुद्दा नहीं है। हम उस पर विचार-विमर्श करेंगे।’


एक अन्य सदस्य गोपाल अग्रवाल ने कहा, ‘लोग अपनी चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं। हम तथ्यों के बजाए धारणाओं की लड़ाई लड़ रहे हैं। चिंता केवल चार संशोधनों को लेकर नहीं है बल्कि भूमि कानून को लेकर है। हम किसानों और जमीन मालिकों के हित के लिए हैं और हम उनकी चिंताओं का ध्यान रखेंगे।’