पॉक्सो एक्ट में उम्र घटाने के पक्ष में नहीं है लॉ कमीशन, सरकार को दिए ये सुझाव
Pocso Act: आयोग ने कहा है कि अगर कोर्ट संतुष्ट हो कि आरोपी और पीड़ित के बीच नजदीकी संबंध थे तो कोर्ट अपने विवेक से सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पॉक्सो एक्ट में निर्धारित न्यूनतम सजा से कम सजा भी दे सकता है.
Law Commission: लॉ कमीशन पॉक्सो एक्ट के तहत आपसी सहमति से यौन सम्बंध बनाने की उम्र 18 साल से घटाकर 16 साल करने के पक्ष में नहीं है. सरकार को सौंपी अपनी 283 वीं रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि आपसी सहमति की उम्र को 18 से घटा कर 16 करने के दुष्परिणाम होंगे. इसका असर बाल विवाह और बच्चों की तस्करी के खिलाफ चल रहे अभियान पर पड़ेगा. आयोग का कहना है कि ऐसे दौर में जब बच्चों के खिलाफ साइबर स्पेस में यौन अपराध और फुसलाकर अपराध की घटनाएं बढ़ रही ऐसी किसी भी कोशिश के गंभीर परिणाम होंगे.
आपसी सहमति के मामलों में पॉक्सो एक्ट में संसोधन का सुझाव
हालांकि आयोग ने ऐसे केस में जहां पीड़ित 16 या उससे अधिक उम्र की हो और यौन सम्बन्धों के लिए लड़की की मूक सहमति है,पॉक्सो एक्ट में संसोधन के लिए विशेष सुझाव भी दिये है ताकि ऐसे मामलों में सज़ा निर्धारित करते वक्त जज केस के तथ्यों को ध्यान में रखकर फैसला ले सके. आयोग ने कहा है कि अगर कोर्ट संतुष्ट हो कि आरोपी और पीड़ित के बीच नजदीकी संबंध थे तो कोर्ट अपने विवेक से सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पॉक्सो एक्ट में निर्धारित न्यूनतम सजा से कम सजा भी दे सकता है. हालांकि कोर्ट को इसके कारण अपने लिखित आदेश में दर्ज कराने होंगे.
किस आधार पर मिल सकती है सज़ा में मोहलत
आयोग ने कहा है कि आरोपी के साथ कोर्ट नरमी कुछ तथ्यों के आधार पर बरत सकता है. जैसे,
- पीड़ित और आरोपी की उम्र में 3 साल से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए.
- आरोपी का पहले से कोई अपराधिक इतिहास न हो
- घटना के बाद आरोपी का आचरण सही रहा हो
- मामले में पीड़ित पर प्रभाव डालने, धोखाधड़ी या हिंसा की कोशिश नहीं की गई हो.
- बच्चों की मानव तस्करी की कोई कोशिश ना की गई हो
- आरोपी पीड़ित पर प्रभाव डालने की स्थिति में ना हो। जैसे कि बच्चों के नजदीकी पारिवारिक सदस्य
- जहां कोर्ट को लगता हो कि इन संबंधों के लिए पीड़ित की मूक सहमति थी
- पीड़ित का पोर्नोग्राफी के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया हो
क्या कहता है पॉक्सो एक्ट
पॉक्सो एक्ट 2012 के तहत आपसी सहमति से यौन संबंध बनाने की न्यूनतम उम्र अभी 18 साल है. यानि 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ उसकी सहमति से भी संबंध को रेप ही माना जाता है. इसके चलते किशोरवय रिश्तों से पनपे यौन सम्बंध भी अपराध के दायरे में आ जाते है. विभिन्न हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट इस पर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं. नवंबर 2022 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने लॉ कमीशन से इस संबंध में रिपोर्ट तैयार करने का आग्रह किया था.