Leader of Opposition Rahul Gandhi: राहुल गांधी विपक्ष के नेता यानी नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) बनने जा रहे हैं. आज पहली बार लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी शामिल होंगे. राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन का ये पहला संवैधानिक पद है. सिर्फ इतना ही नहीं गांधी परिवार से इस पद पर रहने वाले राहुल गांधी तीसरे सदस्य हैं. इससे पहले राजीव गांधी (1989-90) और सोनिया गांधी (1999-2004) इस पद पर रह चुकी हैं. विपक्ष को 10 वर्षों के बाद ये पद मिलेगा. इससे पहले आखिरी बार ये पद दिवंगत सुषमा स्‍वराज के पास था. वह 2009-14 के बीच विपक्ष की नेता बनी थीं. 


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क्‍या कहता है नियम
1980, 1989 और 2014-24 के बीच इस पद पर कोई नहीं रहा. दरअसल किसी विपक्षी पार्टी के पास लोकसभा की कुल संख्‍या का कम से कम 10 फीसद यानी 54 सांसद होने पर ही ये पद मिलता है. 2014 से लेकर 2024 तक किसी पार्टी के पास ये संख्‍याबल नहीं था. इस बार कांग्रेस ने 99 सीटी जीती हैं. इसलिए उसको ये पद मिला है. 


इससे पहले कांग्रेस कार्य समिति ने गत आठ जून को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से आग्रह किया कि वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभालें. उस समय राहुल गांधी ने कार्य समिति के सदस्यों के विचार सुने थे और कहा था कि वह इस बारे में जल्द फैसला करेंगे. उसी कड़ी में बीती रात ये फैसला लिया गया है. 


विपक्ष का नेता (Leader of Opposition)
दरअसल शुरू में ये पद नहीं था लेकिन 1969 में जब कांग्रेस पार्टी में विभाजन हुआ तो पहली बार ये शब्‍द अस्तित्‍व में आया. उस वक्‍त कांग्रेस (ओ) के रामसुभग सिंह ने इस पद के लिए दावा किया था. 1977 में Leaders of opposition in parliament act, 1977 के माध्‍यम से इसको वैधानिक दर्जा दिया गया और इसके साथ ही इसके अधिकार एवं सुविधाओं को परिभाषित किया गया. 


इसके मुताबिक राहुल गांधी को विपक्ष के नेता के रूप में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्‍त होगा. सरकारी सचिवालय में उनके पास ऑफिस होगा. उनको वेतन और भत्‍ते मिलाकर हर महीने तकरीबन सवा तीन लाख रुपये मिलेंगे. 


अधिकार
प्रोटोकॉल लिस्‍ट में बेहतर पोजीशन होने के बाद विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी अब लोकपाल, सीबीआई चीफ, मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त और ऐसी ही अन्‍य महत्‍वपूर्ण नियुक्तियों के पैनल में होंगे. इसी तरह सीवीसी, केंद्रीय सूचना आयोग और एनएचआरसी प्रमुख के चयन संबंधी पैनल के भी सदस्‍य होंगे. प्रधानमंत्री ऐसे सभी पैनलों के प्रमुख होते हैं. 


राहुल गांधी
राहुल गांधी इस बार उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं. इससे पहले वह लोकसभा में केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के अमेठी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वह पांचवीं बार लोकसभा पहुंचे हैं. उन्होंने मंगलवार को लोकसभा सदस्यता की शपथ ली. शपथ लेने के बाद उन्होंने ‘जय हिंद, जय संविधान’ का नारा भी लगाया.


कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष इस लोकसभा चुनाव में रायबरेली और वायनाड दोनों सीट से जीते थे, लेकिन उन्होंने वायनाड सीट छोड़ दिया जहां से उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ेंगी.


राहुल गांधी ने 2004 में भारतीय राजनीति में कदम रखा और अपना पहला चुनाव अमेठी से लड़ा. यह वही सीट थी जिसका प्रतिनिधित्व उनकी मां सोनिया गांधी (1999-2004) और उनके दिवंगत पिता राजीव गांधी ने 1981-91 के बीच किया था. राहुल गांधी लगभग तीन लाख मतों के भारी अंतर से जीते. 2009 में वह फिर जीते लेकिन 2014 में उनकी जीत का अंतर कम हो गया और 2019 में ईरानी से हार गए.


गांधी को 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया और 16 दिसंबर, 2017 को उन्होंने पार्टी की कमान संभाली. लोकसभा चुनावों में हार के बाद उन्होंने मई 2019 में अध्यक्ष पद छोड़ दिया. इसके बाद से राहुल ने देशभर में यात्राएं निकालीं. कन्याकुमारी से कश्मीर तक की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के अलावा उन्होंने मणिपुर से मुंबई तक की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ भी की. कांग्रेस नेताओं ने राहुल की इन पहलों की पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों को प्रेरित करने के लिए सराहना की.