इस्लामाबाद : अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने कहा है कि कश्मीर और पीओके में होने वाली घटनाओं को लेकर न तो भारत और न ही पाकिस्तान को चिंतित होना चाहिए। हक्कानी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को एक-दूसरे के नियंत्रण वाले कश्मीर में दखल भी नहीं देना चाहिए। ऐसा करने से कश्मीर में कुछ हद तक शांति संभव हो सकती है।


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पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हाल ही में चुनाव हुए हैं और इस चुनाव में पीएमएल (एन) के पक्ष में धांधली करने का आरोप लगा है। इसके खिलाफ पीओके में प्रदर्शन भी हो रहे हैं। हक्कानी ने कहा कि यह समस्या गिलगिस्तान की है और पीओके की इस समस्या का समाधान पाकिस्तान पर जबकि भारत के हिस्से वाले कश्मीर की समस्या को नई दिल्ली पर छोड़ देना चाहिए।      


हक्कानी ने जोर देकर कहा कि ऐसा करने से ही कश्मीर में कुछ हद तक शांति संभव हो सकती है।


हक्कानी ने समाचार एजेंसी 'एएनआई' से कहा, 'मैंने सुना है कि पीओके के बारे में कुछ लोगों ने इस बात की शिकायत की है कि उम्मीद के अनुसार वहां चुनाव नहीं हुए। लेकिन मेरा मानना है कि यह समस्या गिलगिस्तान की है। पीओके को पाकिस्तान पर छोड़ देना चाहिए और कश्मीर का जो हिस्सा भारत के पास है उसकी समस्याओं से निपटने की जिम्मेदारी नई दिल्ली पर छोड़ देनी चाहिए। ऐसा करने से कश्मीर में कुछ शांति हो सकती है।'


हक्कानी ने इससे पहले कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच 69 वर्ष पुराने अनसुलझे संबंध प्रतीकात्मक भाव-भंगिमाओं से नहीं सुलझ सकते। इसके बजाय इसके लिए दोनों देशों के रुख में बड़े बदलाव की जरूरत है।


हक्कानी ने कहा, ‘एक संबंध जो पिछले 69 वर्षों से नहीं सुलझा वह केवल प्रतीकात्मक भाव भंगिमाओं से नहीं सुलझ सकता। दोनों देशों के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और नरेंद्र मोदी अच्छे संबंध चाहते हैं लेकिन इसके लिए रुख में भी एक बड़े बदलाव की जरूरत है। रुख में वह बदलाव नहीं आया है।’ उन्होंने यह बात तब कही कि जब उनसे भारत और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार के लिए मोदी की ओर किये गए प्रयासों की समीक्षा करने के लिए कहा गया, जो वर्तमान की तुलना में उनके कार्यकाल की शुरुआत में काफी आशाजनक थे।