नई दिल्‍ली: कुन्नूर हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इस भयावह हेलीकॉप्‍टर हादसे में देश ने अपने पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत 14 जांबांजों को खोया है. हेलीकॉप्‍टर में कुल 14 लोग सवार थे, जिसमें से केवल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही जिंदा बच पाए थे. पर बुधवार को उनका भी निधन हो गया. इस बीच उनकी लिखी एक चिट्ठी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. 


बच्‍चों और प्रिंसिपल को लिखी थी चिट्ठी 


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ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने 18 सितंबर 2021 को अपने स्‍कूल को एक पत्र लिखा था, जो कि अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. यह पत्र उन्‍होंने आर्मी पब्लिक स्कूल चंडी मंदिर की प्रिंसिपल को लिखा था, जहां पर कैप्‍टन सिंह ने अपनी स्‍कूली पढ़ाई पूरी की थी. इस पत्र में उन्‍होंने अपने स्‍कूल के उन बच्‍चों को भी संबोधित किया था, जो पढ़ाई में औसत हैं. 


90% न ला पाएं तो कोई बात नहीं  


वीरता पुरस्कार, शौर्य चक्र से सम्मानित ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह इस पत्र में लिखा, 'पढ़ाई में औसत दर्जे का होना ठीक है. हर कोई स्कूल में उत्कृष्ट नहीं हो सकता है और ना ही हर कोई 90% ला सकता है. यदि आप ये उपलब्धियां पाते हैं तो यह अच्‍छी बात है और इसकी सराहना भी की जानी चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं होता है तो भी यह मत सोचिए कि आप औसत दर्जे के हैं. क्‍योंकि स्कूल में औसत दर्जे का होना जिंदगी में आने वाली चीजों का सामना करने के लिए कोई पैमाना नहीं है.' 


 



उन्होंने आगे लिखा, 'लिहाजा अपनी हॉबी ढूंढें. यह कला, संगीत, ग्राफिक डिजाइन, साहित्य कुछ भी हो सकती है. बस, आप जो भी काम करें, उसे लेकर पूरी तरह समर्पित रहें. अपना सर्वश्रेष्ठ दें. आपको यह ना सोचना पड़े कि मैं इसमें और भी कोशिशें करके बेहतर कर सकता था.'


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'मुझमें भी कम था कॉन्फिडेंस'  


कैप्‍टन सिंह ने इस पत्र में बताया था कि जब वे युवा कैडेट थे तो उनमें भी कॉन्फिडेंस कम था. उन्होंने लिखा, 'जब मैं एक फाइटर स्क्वाड्रन में एक युवा फ्लाइट लेफ्टिनेंट के तौर पर कमीशन हुआ तब मुझे एहसास हुआ कि यदि मैं इसमें अपना दिमाग और दिल लगा दूं तो मैं बहुत अच्छा कर सकता हूं. उसी दिन मैंने सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए काम करना शुरू कर दिया. जबकि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में एक कैडेट के रूप में मैंने पढ़ाई या खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं किया था. लेकिन बाद में विमानों के प्रति मेरा जुनून बढ़ता गया और मैं बेहतर करता गया. फिर भी, मुझे अपनी वास्तविक क्षमताओं पर भरोसा नहीं था.' इस पत्र में कैप्‍टन सिंह ने शौर्य चक्र मिलने का श्रेय भी स्कूल को दिया.