नई दिल्ली: पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय प्रकाश स्तंभों को पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील करने पर काम कर रहा है और कभी जहाजों को दिशा दिखाने वाले ये संकेत स्थल अब संबंधित इलाके का इतिहास बताएंगे. मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारे नौवहन प्रकाश स्तंभ (लाइट हाउस) देश की विरासत हैं. हर लाइट हाउस का अपना एक अलग इतिहास है. ऐसे में पर्यटन स्थल के रूप में इनका विकास करने का प्रस्ताव किया गया है.’ 


‘मन की बात’ में जिक्र


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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस बारे में उल्लेख किया. पीएम ने लाइट हाउस टूरिज्म के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कैबिनेट मंत्री मनसुख मांडविया ने मंत्रालय को इस प्रस्ताव पर विचार करने को कहा था कि क्या ‘लाइट हाउस’ को धरोहर स्थल और पर्यटन के उद्देश्य से विकसित किया जा सकता है. इस प्रस्ताव को कार्यरूप देते हुए देश के प्रमुख ‘लाइट हाउसों’ का सर्वेक्षण कराया गया और इस बात पर ध्यान दिया गया कि इनमें से कहां पर पर्याप्त जमीन उपलब्ध है. 


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पीएम ने कहा अपनी भव्य संरचनाओं के कारण ये हमेशा से लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं. उन्होंने कहा कि पर्यटन (Tourism) को बढ़ावा देने के लिए भारत में 71 लाइट हाउस चिह्नित किए गए हैं जिन्हें उनकी क्षमताओं के मुताबिक संग्रहालय और थिएटर सहित विभिन्न सुविधाओं से लैस किया जाएगा.


टूरिज्म के लिहाज से होगा विकास


विभागीय मंत्री ने इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए EOI तैयार करने को कहा है. दरअसल, लोकसभा ने हाल ही में ‘नौचालन के लिए सामुद्रिक सहायता विधेयक 2021’ को मंजूरी दी है. इसके जरिए लाइट हाउस एक्ट 1927 से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित किया जा रहा है.


विधेयक लेगा कानूनी स्वरूप


इस विधेयक के कानून का स्वरूप लेने के बाद प्रकाश स्तंभों के स्थान पर कानूनी रूप से नौचालन के संबंध में समुद्री सहायता के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का और बेहतर उपयोग किया जा सकेगा. मंत्रालय का मानना है कि टेक्नालजी की मदद से इनका पर्यटन के दृष्टिकोण से बेहतर विकास किया जाए. ऐसा इसलिए क्योंकि इनकी लोकेशन प्राकृतिक सौंदर्य के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है. लाइट हाउस के अगल-बगल काफी हरियाली और समुद्र तट हैं. परियोजना के तहत इन स्थानों के शिपिंग इतिहास की भी जानकारी दी जाएगी.


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इन सेंटर्स पर फोकस


मसलन, महाराष्ट्र में कान्होजी द्वीप पर 125 साल पुराना लाइट हाउस है. यहां पर किला भी है और शिवाजी महाराज के समय की तोप भी लगी हुई है. देश के कुछ प्रमुख लाइट हाउसों में तमिलनाडु स्थित ‘मनपैड’ शामिल है. ये तुतीकोरिन से 60 किलोमीटर दूर है. इसी प्रकार से, केरल स्थित कोवलम का ‘लाइट हाउस’ भी है जो तिरुवनंतपुरम से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.


यह सबसे प्राचीन ‘लाइट हाउस’ में से एक है. पुडुचेरी में भी ऐतिहासिक ‘लाइट हाउस’ है जो काफी पुराना है. कर्नाटक के उडुपी शहर से 12 किलोमीटर दूर मुलूर नामक एक छोटे से गांव में भी एक ‘लाइट हाउस’ स्थित है. गुजरात के शहर द्वारका के ‘रुपेन क्रीक’ में लाइट हाउस का निर्माण 19 वीं सदी में हुआ था.


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