प्रदूषण पर `सुप्रीम` सुनवाई, कोर्ट ने कहा- बहस जरूरी नहीं, समस्या दूर होनी चाहिए
दिल्ली-NCR में प्रदूषण का स्तर बुधवार को भी बहुत खराब श्रेणी में बना हुआ है. आज सुबह दिल्ली का एयर क्लालिटी इंडेक्स 379 दर्ज किया गया. इस बीच आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई जारी है.
नई दिल्ली: दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई हुई. केंद्र और 4 राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट को अपना हलफनामा सौंप दिया. केंद्र ने अपने हलफनामे में कोर्ट को बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम नहीं दिया जा सकता. केंद्र ने कोर्ट को बताया कि वर्क फ्रॉम होम को लागू करने के बजाय वह सरकारी अधिकारियों के लिए वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए वाहन पूलिंग प्रणाली को लागू करेगा. इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी.
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चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रदूषण की रोकथाम के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने पड़ेंगे. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप लोग कहते हैं कि परिवहन मुख्य कारण है और हम जानते हैं कि महंगी और हाई फाई कारें दिल्ली में चलती हैं, इसे कौन रोकेगा? इस मामले पर अगली सुनवाई बुधवार 24 नवंबर को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कोई आदेश जारी नहीं कर रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं होना चाहिए कि प्रदूषण को रोकने ने ढिलाई बरती जाए.
प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सरकार के एक पैनल ने कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं. जिसके मुताबिक दिल्ली-NCR के शिक्षण संस्थान अगले आदेश तक बंद रहेंगे या फिर क्लास ऑनलाइन चलेंगी. दिल्ली में 21 नवंबर तक जरूरी सामान वाले ट्रक की ही एंट्री होगी बाकी ट्रकों को दिल्ली में घुसने नहीं दिया जाएगा. इसके अलावा एनसीआर में सिर्फ गैस आधारित इंडस्ट्री को ही चलाने की इजाजत होगी. दिल्ली के 300 किमी रेडियल के दायरे में आने वाले थर्मल प्लांट तय वक्त तक ही चलेंगे. 21 नवंबर तक एनसीआर में निर्माण कार्य पर रोक लगाई गई है. रेलवे, मेट्रो और एयरपोर्ट पर निर्माण कार्यों को छूट दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने कड़े शब्दों में कहा कि 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल या पेट्रोल से चलने वाले कोई भी वाहन सड़क पर नहीं चलेंगे. बिना कवर किए हुए निर्माण सामग्री ले जाने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा.
SC तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली के आस-पास 300 किलोमीटर रेडियस के अंदर आने वाले कोयले पर चलने वाले 11 थर्मल प्लांटों में से केवल 5 काम कर रहे हैं. अन्य को बंद कर दिया गया है और अगर आवश्यकता पड़ी तो इस दायरे से बाहर के संयंत्रों को भी बंद किया जा सकता है.
SC तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली के 300 किलोमीटर में 11 थर्मल प्लांटों में से केवल 5 काम कर रहे हैं. अन्य को बंद कर दिया गया है और अगर आवश्यकता पड़े तो इस दायरे से बाहर के संयंत्रों को भी बंद किया जा सकता.है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आपने अपने हलफनामे में ये कहा था कि पराली की वजह से प्रदूषण सिर्फ 10% है बाकी दिल्ली में प्रदूषण अलग-अलग कारणों से बढ़ा है.
प्रदूषण कम करने के सुझाव
1- सड़क की सफाई और पानी का छिड़काव
2- दिल्ली-एनसीआर के ईंट भट्टे बंद हों
3- सभी हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर बंद किया जाए
4- सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को बढ़ाया जाए
5- डीजल जनरेटर सेट का उपयोग बंद किया जाए
6-पार्किंग चार्ज 3-4 गुना बढ़ाया जाए
7- खुले कोयला लकड़ी जलाने पर रोक
8- रेडियो, टीवी पर हेल्थ एडवाइजरी दी जाए
9- गैर जिम्मेदार व्यक्ति पर भारी जुर्माना लगाया जाए
10 कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को बंद किया जाएपंजाब सरकार ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्च से शिकायत की है. सरकार का कहना है कि केंद्र उमके साथ सहयोग नहीं कर रही है. पंजाब सरकार ने कहा कि पंजाब ये मांग कर रही है की उसे केंद्र 100 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पराली को नष्ट करने के लिए पैसा दे. लेकिन केंद्र सरकार पैसा नही दे रही है.
हरियाणा सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि उसने सरकारी और निजी स्कूलों को बंद कर दिया है. सरकारी और निजी दफ्तरों को वर्क फ्रॉम होम का सुझाव दिया गया है.
हरियाणा सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि उसने सरकारी और निजी स्कूलों को बंद कर दिया है. सरकारी और निजी दफ्तरों को वर्क फ्रॉम होम का सुझाव दिया गया है.