CJI Chandrachud: भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Dhananjaya Yeshwant Chandrachud) ने शनिवार को वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र के रूप में लोक अदालतों (Lok Adalat) की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लोग अदालतों के मामलों से ‘इतने तंग’ आ गए हैं कि वे बस समझौता चाहते हैं. लोक अदालतें ऐसा मंच हैं जहां न्यायालयों में लंबित या मुकदमेबाजी से पहले के विवादों और मामलों का निपटारा या सौहार्दपूर्ण ढंग से समझौता किया जाता है.


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पारस्परिक रूप से स्वीकृत समझौते के विरुद्ध कोई अपील दायर नहीं की जा सकती. CJI चंद्रचूड़ ने उच्चतम न्यायालय में विशेष लोक अदालत सप्ताह  (Lok Adalat) के उपलक्ष्य में कहा, ‘लोग इतना परेशान हो जाते हैं अदालत के मामलों से कि वे कोई भी समझौता चाहते हैं... बस अदालत से दूर करा दीजिए. यह प्रक्रिया ही सजा है और यह हम सभी न्यायाधीशों के लिए चिंता का विषय है.’


मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें हर स्तर पर लोक अदालत के आयोजन में बार और बेंच सहित सभी से जबरदस्त समर्थन और सहयोग मिला. चंद्रचूड़ ने कहा कि जब लोक अदालत के लिए पैनल गठित किए गए थे तो यह सुनिश्चित किया गया था कि प्रत्येक पैनल में दो न्यायाधीश और बार के दो सदस्य होंगे. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्हें सचमुच में ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट भले ही दिल्ली में स्थित हो, लेकिन यह दिल्ली का उच्चतम न्यायालय नहीं है. यह भारत का उच्चतम न्यायालय है. CJI चंद्रचूड़ ने कहा, ‘लोक अदालत का उद्देश्य लोगों के घरों तक न्याय पहुंचाना और लोगों को यह सुनिश्चित करना है कि हम उनके जीवन में निरंतर मौजूद हैं.’