संसद के बजट सत्र में सरकार और विपक्ष में वार-पलटवार यानी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि बजट सत्र में सिर्फ बजट पर चर्चा होनी चाहिए. कांग्रेस ने भी पलटवार किया है. मानसून सत्र के चौथे दिन की संसदीय मंत्री कार्यमंत्री किरने रिजिजू ने विपक्ष पर करारा हमला किया. मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, 'बजट सत्र में सिर्फ बजट पर चर्चा होनी चाहिए. जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जनादेश दिया है, आप इसका अपमान करने की कोशिश कर रहे हैं. यह गलत परंपरा है जो बिल्कुल ठीक नहीं है. मंत्री ने कहा कि मुद्दों पर चर्चा के बजाए पीएम मोदी को निशाना बनाया जा रहा है. 


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स्पीकर ने भी पढ़ाया मर्यादा का पाठ


आज भी संत्र शुरू हुआ तो रिजिजू के बोलते ही विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरु कर दिया. इस पर स्पीकर ओम बिड़ला ने सभी सांसदों से मर्यादा बनाए रखने की अपील की. वहीं कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा है कि ये बजट देश की आम जनता के खिलाफ है हम इसका विरोध करते है. जिस पर सरकार टिकी हुई है उनको डर की वजह से बड़ा बजट दिया गया है.


गौरतलब है कि राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेता नीट पेपर लीक समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे हैं. वहीं सरकार नियम से चलने को कह रही है. ऐसे में बात बनने के बजाए बिगड़ती चली जा रही है. 


वहीं राज्यसभा में आज कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार किसानों के प्रति बदले की भावना से काम कर रही है क्योंकि उसे लगता है कि इस वर्ग के कारण उसे आम चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया तथा किसानों से जुड़ी प्रमुख योजनाओं की राशि को पूरी तरह से खर्च भी नहीं किया जा रहा है.


उच्च सदन में आम बजट 2024-25 और जम्मू कश्मीर के बजट पर संयुक्त चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने इसे ‘कुर्सी बचाओ, सहयोगी बचाओ और हार का बदला लेते जाओ बजट’ करार दिया. उन्होंने प्रश्न किया कि क्या सरकार को देश के अन्नदाता किसानों की कराह, गरीब की लाचारी और बेरोजगार युवा की चिल्लाहट सुनाई देती है?


उन्होंने कहा, ‘‘क्या जाति और धर्म के विभाजन में फंसे, सत्ता में बैठे हुक्मरान इतने अंधे हो गये हैं कि उन्हें अब अन्नदाता किसान, गरीब और युवा भी जाति नजर आते हैं?’’ उन्होंने कहा कि बजट भाषण में किसान, युवा और महिलाओं को तीन जाति बताया गया है.


सुरजेवाला ने कहा कि यह बजट ‘खेत, खेती और खेतिहर विरोधी’ है. उन्होंने कहा कि पिछले दस साल में इस सरकार ने देश के 72 करोड़ अन्नदाता किसानों की ‘पीठ पर लाठी और पेट पर लात मारी है.’ उन्होंने कहा कि इन किसानों के शरीर के घाव तो मिट गये पर आत्मा पर लगे घाव के निशान अभी तक ज्यों के त्यों हैं.